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समुदायों, निजी निवेश एवं विरासत संरक्षण में संतुलन जरुरी – प्रमुख सचिव श्री शुक्ला

भोपाल । यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा शहरी विरासत और HUL (Historic Urban Landscape) की सिफारिश पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र का आयोजन नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सहयोग से हुआ। सत्र में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति विभाग और टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक, शिव शेखर शुक्ला ने समुदायों, निजी निवेश और विरासतों के संरक्षण में संतुलन पर जोर दिया।

संतुलन आवश्यक

प्रमुख सचिव श्री शुक्ला ने कहा कि नागरिक और समुदायों के साथ-साथ निजी निवेश और विरासत संपत्तियों के बीच संतुलन स्थापित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “हमें ऐसा ढांचा विकसित करना होगा, जिसमें सभी के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके। निजी निवेश के लिए भी स्थान हो और हमारी ऐतिहासिक और विरासतीय स्थलों का संरक्षण और संवर्धन हो सके, साथ ही पर्यटन गतिविधियों का भी सुचारू संचालन हो।”

समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण

श्री शुक्ला ने कहा कि विरासत समुदायों के लिए है, इसलिए हमें समुदाय को केंद्र में रखते हुए आजीविका के अवसर सृजित करने होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि शहर की ऐतिहासिकता का लाभ व्यापक रूप से लोगों के कल्याण और लाभ के लिए उठाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय उद्यान में सफल प्रयोग

श्री शुक्ला ने बताया कि मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों में समुदायों, निजी निवेश और विरासतों के संरक्षण में संतुलन स्थापित करने में सफलता मिली है। “एक सीमा में रहकर पर्यटन और आधारभूत संरचनाओं को विकसित किया गया है, जिसका लाभ स्थानीय समुदाय को मिला है। इससे न केवल प्राकृतिक विरासत का संरक्षण हुआ बल्कि आने वाले सभी लोग भी संवेदनशील हुए हैं,” उन्होंने कहा।

शहरों के संदर्भ में समान सिद्धांत

श्री शुक्ला ने कहा कि शहरों के संदर्भ में भी इन सिद्धांतों को लागू किया जा सकता है। “समग्र दृष्टिकोण के तहत हमें समाज के हर वर्ग की आकांक्षाओं और ज़रूरतों का ख्याल रखना होगा और फिर यह पता लगाना होगा कि उन्हें कैसे जोड़ा जाए ताकि हमारे शहर न केवल संरक्षित हों, जीवंत हों बल्कि बड़े पैमाने पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिले,” उन्होंने कहा।

ग्वालियर व ओरछा पर प्रेजेन्टेशन

विशेष सत्र में मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर और ओरछा के साथ-साथ जयपुर और अहमदाबाद पर एक प्रेजेन्टेशन दिया गया। शहरी विकास के साथ विरासत संरक्षण को एकीकृत करने में राज्य के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया। सत्र के पैनलिस्टों में प्रमुख सचिव श्री नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव यूएडीडी, मध्य प्रदेश, सुश्री गायत्री राठौर, प्रमुख सचिव पर्यटन, राजस्थान और श्री राम्या कुमार भट्ट, उपायुक्त, अहमदाबाद नगर निगम शामिल थे। सत्र का संचालन सुश्री जुन्ही हान, संस्कृति प्रमुख, यूनेस्को द्वारा किया गया। इस अवसर पर अपर प्रबंध संचालक सुश्री बिदिशा मुखर्जी सहित अनेक देशों के प्रतिनिधि और संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

इस सत्र ने यह स्पष्ट किया कि समुदायों, निजी निवेश और विरासत संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करना महत्वपूर्ण है। यह संतुलन केवल शहरों की संरक्षा और विकास के लिए ही नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक और आर्थिक लाभ के लिए भी आवश्यक है।

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