भाजपा नेत्री अर्चना चंद्र सैकड़ों समर्थकों के साथ जन सुराज में हुईं शामिल, औरंगाबाद में भाजपा को झटका
औरंगाबाद। भाजपा की वरिष्ठ नेत्री अर्चना चंद्र ने आज अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ पटना में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के नेतृत्व में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। अपने प्रभावशाली वक्तृत्व कौशल और प्रशासनिक अनुभव के लिए पहचानी जाने वाली अर्चना चंद्र के इस कदम से औरंगाबाद जिले में भाजपा को बड़ा झटका लगा है।
भाजपा छोड़कर जन सुराज में शामिल हुईं अर्चना चंद्र
अर्चना चंद्र, जो वर्ष 2006 से 2016 तक बारुण प्रखंड प्रमुख के रूप में कार्य कर चुकी हैं, ने जन सुराज में शामिल होकर राजनीति में नया मोड़ दिया है।
प्रशासनिक उपलब्धियां:
2013 में भारत सरकार द्वारा ‘बेस्ट प्रखंड प्रमुख’ का खिताब और 25 लाख रुपये का पुरस्कार।
राजनीतिक करियर:
2009 में बसपा के टिकट पर औरंगाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर 55,000 वोट प्राप्त किए।
2010 में बसपा की ओर से नवीनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार रहीं, जहां उन्हें 11,878 वोट मिले।
राजनीतिक विरासत का अनुभव
अर्चना चंद्र का राजनीतिक सफर सिर्फ उनका व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि उनका परिवार भी राजनीति में सक्रिय रहा है:
उनके पति रंजन सिंह 2001 से 2006 तक बारुण के प्रखंड प्रमुख रहे।
उनके ससुर रामनंदन सिंह भी बारुण प्रखंड के प्रमुख रह चुके हैं।
प्रशांत किशोर का बयान
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अर्चना चंद्र का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा,
“अर्चना चंद्र के जुड़ने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। वह न केवल औरंगाबाद बल्कि पूरे बिहार की जनता की समस्याओं को प्रमुखता से उठाएंगी।”
भविष्य की संभावनाएं
जन सुराज में अर्चना चंद्र के शामिल होने से पार्टी को एक नया जनाधार मिलने की उम्मीद है।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव:
माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें नवीनगर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बना सकती है।
उनके अनुभव और जनाधार से जन सुराज पार्टी को क्षेत्र में मजबूती मिलेगी।
भाजपा को बड़ा झटका
अर्चना चंद्र के जन सुराज में शामिल होने से औरंगाबाद जिले में भाजपा को राजनीतिक नुकसान हुआ है। भाजपा का यह कद्दावर चेहरा न केवल पार्टी के लिए बड़ी हानि है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव भी लेकर आएगा।