भारत के 5 में से 2 बच्चों का BMI असंतुलित, फिटनेस स्तर चिंताजनक – स्पोर्ट्ज़ विलेज सर्वेक्षण 2025

देशभर के 1.16 लाख बच्चों के फिटनेस डेटा का विश्लेषण, सरकारी स्कूलों के बच्चों ने दिखाया बेहतर प्रदर्शन

मुंबई, । स्पोर्ट्ज़ विलेज के 13वें वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (AHS 2025) ने भारत के स्कूल जाने वाले बच्चों की फिटनेस और स्वास्थ्य की चिंताजनक स्थिति का खुलासा किया है। सर्वेक्षण के तहत देशभर के 85 स्थानों से 7 से 17 वर्ष के 1,16,650 बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बच्चों में BMI, एरोबिक क्षमता और मांसपेशियों की ताकत को सुधारने की तत्काल जरूरत है।

BMI और फिटनेस के प्रमुख निष्कर्ष

5 में से 2 बच्चों का BMI असंतुलित पाया गया।

5 में से 3 बच्चों की मांसपेशियों की ताकत कमजोर है।

3 में से 1 बच्चा पर्याप्त लचीला नहीं है।

5 में से 3 बच्चों की एरोबिक क्षमता कमजोर है।

5 में से 1 बच्चे की कोर मसल्स की ताकत अपर्याप्त है।

5 में से 2 बच्चों की एनारोबिक क्षमता सामान्य से कम है।

लड़कियों (62.23%) की तुलना में लड़कों (57.09%) का BMI कमजोर है।

लड़कियों ने लचीलेपन, कोर मसल्स और एनारोबिक क्षमता में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया।


क्षेत्रवार फिटनेस प्रदर्शन – पश्चिम सबसे आगे, उत्तर सबसे पीछे

सर्वेक्षण में देश के अलग-अलग क्षेत्रों की फिटनेस स्थिति की तुलना की गई, जिसमें पश्चिमी क्षेत्र ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जबकि उत्तरी क्षेत्र सबसे पीछे रहा।

उत्तर भारत के बच्चों में निचले शरीर की ताकत, पेट की ताकत और एनारोबिक क्षमता सबसे खराब पाई गई, जिससे स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में फिटनेस कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की तत्काल जरूरत है।

सरकारी स्कूलों के बच्चों ने निजी स्कूलों से किया बेहतर प्रदर्शन

सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि सरकारी स्कूलों के बच्चों ने BMI, एरोबिक क्षमता, निचले शरीर की ताकत और लचीलेपन के मामले में निजी स्कूलों के बच्चों से बेहतर प्रदर्शन किया।

शारीरिक शिक्षा (PE) कक्षाओं की कमी, खराब फिटनेस का कारण

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि जो बच्चे प्रति सप्ताह दो से अधिक शारीरिक शिक्षा (PE) कक्षाओं में भाग लेते हैं, उनका BMI, ऊपरी शरीर की ताकत और लचीलापन बेहतर होता है। इससे यह साबित होता है कि स्कूलों में संगठित खेल कार्यक्रमों की आवश्यकता है।

स्पोर्ट्ज़ विलेज का बयान – खेल शिक्षा को प्राथमिकता देने की जरूरत

स्पोर्ट्ज़ विलेज के को-फाउंडर और CEO सौमिल मजमुदार ने कहा:
“बच्चों को खेल पसंद है, लेकिन यह अक्सर पढ़ाई के कारण पीछे रह जाता है। AHS 2025 के निष्कर्ष बताते हैं कि स्कूलों को खेलों में अधिक निवेश करना चाहिए, ताकि बच्चों का दीर्घकालिक स्वास्थ्य बेहतर हो सके और भारत वैश्विक खेल मंच पर बेहतर प्रदर्शन कर सके।”

स्पोर्ट्ज़ विलेज फाउंडेशन के प्रमुख परमिंदर गिल ने कहा:
“सरकारी स्कूलों के बच्चों का बेहतर फिटनेस स्तर उत्साहजनक है। खेल न केवल शारीरिक विकास बल्कि अकादमिक प्रदर्शन और सामाजिक कौशल को भी बढ़ाते हैं। इस सकारात्मक बदलाव को और मजबूत करने के लिए नीति-निर्माताओं और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) कार्यक्रमों का समर्थन आवश्यक है।”

स्पोर्ट्ज़ विलेज – भारत का सबसे बड़ा स्कूल स्पोर्ट्स संगठन

स्पोर्ट्ज़ विलेज, भारत का सबसे बड़ा स्कूल स्पोर्ट्स संगठन है, जो खेल को बच्चों की शिक्षा और विकास का हिस्सा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

22 राज्यों में 500 से अधिक स्कूलों में सक्रिय

300,000 से अधिक बच्चों को प्रत्यक्ष लाभ

अब तक 66 लाख से अधिक बच्चों को प्रभावित किया

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