नई दिल्ली, । केंद्रीय बजट 2025 से पहले, वित्तीय विशेषज्ञों और उद्योग जगत की निगाहें उन नीतिगत फैसलों पर टिकी हैं, जो क्रेडिट की पहुंच को आसान बनाने और डिजिटल ऋण प्रणाली को सशक्त करने में सहायक होंगी। होम क्रेडिट इंडिया के सीईओ, श्री ओंद्रेज कुबिक ने बजट से अपनी उम्मीदें साझा करते हुए कहा कि डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करना वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
क्रेडिट एक्सेस को सरल और किफायती बनाने की जरूरत
बजट 2025 में निम्न-मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए किफायती ऋण योजनाओं की घोषणा की उम्मीद है। विशेष रूप से, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (Consumer Durables) की फाइनेंसिंग के लिए लक्षित सब्सिडी, तरलता सहायता और कर लाभ जैसे उपाय क्रेडिट को अधिक सुलभ बना सकते हैं। इससे न केवल लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी बल्कि आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।
एनबीएफसी क्षेत्र को चाहिए ठोस समर्थन
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) की भूमिका वित्तीय समावेशन में अहम है। बजट में एनबीएफसी सेक्टर के लिए बेहतर तरलता प्रावधान और ऋण वसूली तंत्र को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। इसके अलावा, मल्टी-सोर्स केवाईसी (Multi-Source KYC) की पहुंच बढ़ाने और टीडीएस प्रावधानों को सुसंगत बनाने से एनबीएफसी और बैंकों के बीच को-लेंडिंग (Co-lending) मॉडल को मजबूती मिल सकती है।
क्रेडिट गारंटी और वित्तीय साक्षरता पर जोर
ऋण जोखिम को कम करने के लिए क्रेडिट गारंटी योजनाओं को बढ़ावा देना जरूरी है, जिससे एनबीएफसी को अधिक प्रभावी संचालन और विस्तार में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों के जरिए उपभोक्ताओं को सही क्रेडिट निर्णय लेने में मदद मिलेगी, जिससे जिम्मेदार ऋण लेने की संस्कृति विकसित होगी।
AI, ब्लॉकचेन और साइबर सुरक्षा का बढ़े दायरा
बजट 2025 में एआई (AI), मशीन लर्निंग (ML), ब्लॉकचेन (Blockchain) और साइबर सुरक्षा (Cyber Security) जैसी तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। ये नवाचार डिजिटल ऋण प्रणाली को सुरक्षित और पारदर्शी बनाएंगे, जिससे जोखिम कम होंगे और वित्तीय सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी।
समग्र आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा
यदि सरकार उपभोक्ताओं और एनबीएफसी के लिए क्रेडिट को सस्ता और सुलभ बनाने पर ध्यान देती है, तो यह भारत की खपत आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। इससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।