हार्टफुलनेस संस्थान का दौरा: विश्व कृषि मंच और ICFA के प्रतिनिधिमंडल ने की कृषि में तकनीकी ज्ञान के विस्तार पर चर्चा

हैदराबाद: विश्व कृषि मंच (WAF) और भारतीय खाद्य एवं कृषि परिषद (ICFA) का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल 25-27 जनवरी के बीच हैदराबाद स्थित हार्टफुलनेस संस्थान के मुख्यालय, कान्हा शांति वनम, के दौरे पर रहा। इस दौरे का उद्देश्य कृषि में तकनीकी नवाचार और पारंपरिक ज्ञान के समन्वय को बढ़ावा देना था।

प्रतिनिधिमंडल में WAF के विशेष सलाहकार और एग्रीकल्चर टुडे पत्रिका के अध्यक्ष डॉ. एम. जे. खान, ICFA की महासचिव डॉ. श्रेयसी अग्रवाल सहित कई कृषि विशेषज्ञ शामिल थे। इस यात्रा के दौरान प्रतिनिधियों ने हार्टफुलनेस संस्थान द्वारा बंजर भूमि को कृषि उन्नति के केंद्र में बदलने की पहल को करीब से देखा और इसकी सराहना की।

हार्टफुलनेस संस्थान: कृषि और पर्यावरण संरक्षण का अनूठा मॉडल

डॉ. एम. जे. खान ने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा,
“कान्हा शांति वनम में बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का कार्य दुनिया के लिए एक मिसाल है। यह मॉडल उन देशों के लिए उपयोगी हो सकता है जो रेगिस्तानीकरण की समस्या का सामना कर रहे हैं।”

उन्होंने COP 16 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण पर हुई चर्चाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हार्टफुलनेस संस्थान ने विज्ञान, पर्यावरण और आध्यात्मिकता का संतुलन बनाकर एक स्थायी समाधान प्रस्तुत किया है।

ICFA की महासचिव डॉ. श्रेयसी अग्रवाल ने इस पहल को “वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण का बेहतरीन उदाहरण” बताया। उन्होंने कहा,
“हार्टफुलनेस संस्थान ने यह दिखाया है कि तकनीकी ज्ञान और आध्यात्मिकता के समावेश से कृषि को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है।”

ICFA और हार्टफुलनेस के बीच संभावित सहयोग

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अध्यक्ष सुरेश प्रभु ने भी हार्टफुलनेस की कृषि पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि,
“भारतीय कृषि को जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हार्टफुलनेस संस्थान द्वारा विकसित मॉडल एक स्थायी समाधान प्रदान कर सकता है। ICFA इस दिशा में सहयोग के लिए तैयार है और टिकाऊ कृषि एवं बायोचार परियोजना पर मिलकर कार्य करेगा।”

इस दौरान ICFA और हार्टफुलनेस संस्थान के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए जाने की सहमति बनी, जिससे भविष्य में सतत कृषि और ग्रामीण उद्यमिता विकास को बढ़ावा दिया जा सकेगा।

भारतीय कृषि में पारंपरिक ज्ञान का महत्व

हार्टफुलनेस संस्थान के मार्गदर्शक और श्री रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष आदरणीय दाजी ने कहा कि,
“आधुनिक तकनीकों को अपनाते हुए हमें अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों को भी बनाए रखना होगा। हमारे ऋषियों और पूर्वजों ने आध्यात्मिकता को कृषि से जोड़ा था, जिससे खेती केवल उत्पादन प्रक्रिया नहीं बल्कि एक पवित्र अनुष्ठान बन जाती थी।”

दौरे का प्रमुख उद्देश्य और भविष्य की संभावनाएं

इस दो दिवसीय दौरे के दौरान प्रतिनिधियों ने हरियाली बढ़ाने, कृषि उत्पादकता सुधारने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उपायों पर गहन चर्चा की। इस दौरान यह भी उल्लेख किया गया कि हार्टफुलनेस संस्थान पहले ही ICAR और AICTE के साथ कृषि शिक्षा और तकनीकी ज्ञान हस्तांतरण को लेकर समझौता कर चुका है।

यह दौरा भारतीय कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों और सतत विकास को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। WAF और ICFA के इस दौरे से भविष्य में कृषि और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कई और नवाचारों की नींव रखी जा सकती है।

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