हाउ इंडिया बारोज़ 2024’ स्टडी: भारतीय महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण में बड़ा बदलाव

नई दिल्ली। होम क्रेडिट इंडिया की ‘हाउ इंडिया बारोज़ 2024’ स्टडी भारत में महिलाओं के बदलते वित्तीय व्यवहार और बढ़ती आर्थिक आत्मनिर्भरता पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे निम्न-मध्यम आय वर्ग की महिलाएं क्रेडिट का उपयोग करके उद्यमिता, शिक्षा, घरेलू वित्त और डिजिटल वित्तीय साक्षरता में महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं।

महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण के प्रमुख रुझान

1. उद्यमशीलता को बढ़ावा: अपना व्यवसाय स्थापित कर रहीं महिलाएं

20% महिलाओं ने अपने व्यवसाय और स्टार्टअप के लिए ऋण लिया, जो उनकी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है।
खासतौर पर निम्न-मध्यम वर्ग की महिलाएं अपने उद्यमशीलता के सपनों को साकार करने में क्रेडिट का उपयोग कर रही हैं।

2. शिक्षा में निवेश: आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम

कई महिलाएं करियर ग्रोथ और आत्म-सुधार के लिए शिक्षा ऋण का विकल्प चुन रही हैं।
यह दर्शाता है कि वे ऊपर की ओर गतिशीलता और सशक्तिकरण के लिए शिक्षा को एक मजबूत साधन मानती हैं।

3. घरेलू वित्तीय निर्णयों में बढ़ी भागीदारी

46% महिलाएं अपने घरों के लिए कनज्यूमर ड्यूरेबल्स (TV, फ्रिज, वॉशिंग मशीन आदि) खरीदने के लिए ऋण ले रही हैं, जो इस क्षेत्र में पुरुषों से अधिक सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
यह दिखाता है कि महिलाएं न केवल घर के लिए बड़े आर्थिक फैसले ले रही हैं, बल्कि वे परिवार की वित्तीय भलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

4. डिजिटल वित्तीय साक्षरता में बढ़ोतरी

अधिक महिलाएं ऑनलाइन वित्तीय शिक्षा प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रही हैं, जिससे उनकी आर्थिक समझ और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत हो रही है।
डिजिटल वित्तीय शिक्षा का यह बढ़ता ट्रेंड महिलाओं के सशक्त और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

महिलाओं की आर्थिक शक्ति में वृद्धि: रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

महिलाएं उद्यमिता, शिक्षा और घरेलू प्रबंधन में क्रेडिट का प्रभावी उपयोग कर रही हैं।
वे फाइनेंशियल लिटरेसी को बढ़ाने और डिजिटल माध्यमों से आर्थिक निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने पर जोर दे रही हैं।
भारत में महिलाओं की बढ़ती आर्थिक भूमिका देश के वित्तीय समावेशन और समग्र आर्थिक विकास में योगदान कर रही है।

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