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IPRS की 55वीं वर्षगांठ: ‘साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया’ से भारतीय संगीत की वैश्विक पहचान को बढ़ावा

इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) ने अपनी 55वीं वर्षगांठ पर ‘साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया: गेटवे टू द वर्ल्ड’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इसका उद्देश्य भारतीय संगीतकारों को वैश्विक मंच पर प्रमोट करना है। यह कार्यक्रम म्यूज़ीकनेक्ट इंडिया के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें भारत के उभरते संगीतकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान किया गया।

पिछले पांच दशकों से IPRS भारतीय संगीतकारों के अधिकारों की रक्षा के साथ उनकी प्रगति में सहायक रही है। इस कार्यक्रम के माध्यम से IPRS ने भारतीय संगीत को विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एक सम्मेलन और 16 भारतीय बैंडों की प्रस्तुति थी, जिसमें संगीतकार, विशेषज्ञ और इंडस्ट्री के दिग्गज शामिल हुए।

इस दौरान भारतीय संगीतकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का मौका मिला। कार्यक्रम में दुनिया के प्रमुख म्यूजिक फेस्टिवल्स के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें रेनफॉरेस्ट वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल (मलेशिया), सिगेट फेस्टिवल (हंगरी), और अन्य प्रतिष्ठित फेस्टिवल्स शामिल थे।

उद्घाटन समारोह में प्रसिद्ध गायक दलेर मेहंदी ने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी साझा की। IPRS के बोर्ड सदस्य मयूर पुरी ने कार्यक्रम को भारतीय संगीतकारों के लिए एक प्रेरणादायक मंच बताया।

इस आयोजन में भारतीय संगीत, कानून और मीडिया से जुड़े विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया। चर्चा का मुख्य फोकस वैश्विक मंच पर भारतीय संगीत की उपस्थिति, संगीत अधिकार, और डिजिटल युग में संगीतकारों के अधिकारों की रक्षा पर रहा। IPRS के CIO सुरहित भट्टाचार्य ने म्यूजिक मेटाडेटा और रॉयल्टी से जुड़े मुद्दों पर जोर दिया और संगीतकारों को IPRS से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

इस कार्यक्रम से यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय संगीत धीरे-धीरे वैश्विक म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी पकड़ बना रहा है। म्यूज़ीकनेक्ट इंडिया के निदेशक कौशिक दत्ता ने बताया कि भारतीय संगीत की विविधता के कारण इसे वैश्विक मंच पर और अधिक पहचान मिल रही है।

IPRS ने इस आयोजन के माध्यम से भारतीय संगीतकारों के लिए नए रास्ते खोले हैं, और यह उम्मीद जताई कि आने वाले समय में भारतीय संगीत दुनिया के हर कोने में सुना जाएगा।

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