IRGMA ने क्लोरीनेटेड दस्तानों के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

नई दिल्ली। इंडियन रबर ग्लव्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IRGMA) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से क्लोरीनेटेड दस्तानों के आयात पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है। यह कदम डॉक्टरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। IRGMA ने सीमा शुल्क (आयात) विभाग को भी सूचित किया है कि आयातकर्ता जैविक अपशिष्ट निपटान नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और प्रतिबंधित क्लोरीनेटेड दस्ताने चोरी-छुपे भारत में लाए जा रहे हैं।

बीआईएस अनुमोदित दस्तानों का समर्थन

IRGMA सरकारी अस्पतालों के लिए केवल बीआईएस अनुमोदित दस्तानों के इस्तेमाल की मांग कर रहा है, जो CDSCO की राजपत्रित अधिसूचना के एमडीआर 2017 अनुपालन के मुताबिक QCO (गुणवत्ता नियंत्रण आदेश) के तहत आते हैं। IRGMA ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के 27 मार्च 2019 के निर्देशों का हवाला दिया है, जिसमें क्लोरीनेटेड दस्तानों का इस्तेमाल बंद करने की बात कही गई थी।

क्लोरीनेटेड दस्तानों पर प्रतिबंध का अनुरोध

IRGMA ने मलेशियाई रबर काउंसिल को भी सूचित किया है कि भारतीय प्राधिकारियों द्वारा सभी प्रकार के क्लोरीनेटेड दस्तानों के आयात की अनुमति नहीं दी गई है। एम्स को भेजे गए पत्र में IRGMA ने हेल्थकेयर इंडस्ट्री से मौजूदा नियमों का अनुपालन करते हुए सही गुणवत्ता वाले दस्ताने खरीदने का आग्रह किया है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा चिंताएं

नकली जांच दस्तानों के आयात से गंभीर सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं। अमेरिका और यूरोप जैसे देशों ने पहले ही पाउडर्ड, कोटेड नाइट्राइल दस्तानों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। IRGMA के प्रेसिडेंट सुनील पटवारी ने कहा, “अब समय आ गया है कि नकली क्लोरीनेटेड दस्तानों के आयात और इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए क्योंकि यह डॉक्टरों और रोगियों दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।”

नियमों का पालन सुनिश्चित करने की मांग

IRGMA ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के जरिए QCO को अंतिम रूप देने का अनुरोध किया है और CDSCO से चैप्टर 7 के नियम 2 को लागू करने की सिफारिश की है। IRGMA ने सरकारी अस्पतालों को केवल BIS अनुमोदित नाइट्राइल दस्तानों की खरीद करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है।

IRGMA ने सरकार से तत्काल इस मामले पर विचार करने का अनुरोध किया है ताकि अस्पतालों में खराब गुणवत्ता के सर्जिकल दस्तानों की जांच की जा सके और डॉक्टरों व मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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