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जोस अलुक्कास का फोकस प्राकृतिक हीरों पर, आभूषणों की बिक्री में 28% की वृद्धि

बेंगलुरु। भारत में ट्रेंडी और नवोन्मेषी ज्वेलरी के क्षेत्र में अग्रणी ब्रांड जोस अलुक्कास ने हाल ही में घोषणा की है कि प्राकृतिक हीरों पर फोकस बढ़ाने और उनकी बिक्री में 28% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। यह सफलता ब्रांड की उच्च गुणवत्ता, आकर्षक डिज़ाइन और नेचुरल डायमंड काउंसिल (एनडीसी) के साथ साझेदारी का नतीजा है। यह सहयोग उपभोक्ताओं के बीच प्राकृतिक हीरों की विरासत और उनकी स्थिरता के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से किया गया है।

ग्राहकों की बदलती पसंद और बढ़ती मांग
प्राकृतिक हीरों की बढ़ती मांग, भारतीय ग्राहकों की बदलती मानसिकता और व्यक्तिगत स्टाइल व सोफिस्टिकेशन के प्रति उनके रुझान का प्रमाण है। जोस अलुक्कास ने एंगेजमेंट रिंग्स, वेडिंग बैंड्स और डायमंड नेकलेस जैसी श्रेणियों में बिक्री बढ़ने की बात कही है।

नेतृत्व की राय
जोस अलुक्कास ग्रुप के प्रबंध निदेशक वर्गीस अलुक्कास ने कहा,
“भारत, हीरों के आभूषणों के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है। हमने वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में हीरों की बिक्री में 28% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। यह प्रदर्शन इस बात को दर्शाता है कि हमारे ग्राहक प्राकृतिक हीरों से कितना भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं।”

नेचुरल डायमंड काउंसिल की भारत एवं मध्य पूर्व की प्रबंध निदेशक ऋचा सिंह ने कहा,
“जोस अलुक्कास के साथ हमारी साझेदारी प्राकृतिक हीरों की अनूठी विशेषताओं और नैतिक सोर्सिंग के प्रति उपभोक्ताओं को जागरूक करने की दिशा में एक कदम है। हम कार्यशालाओं और सेल्स टीमों के लिए विशेष प्रशिक्षण के जरिए उपभोक्ताओं तक प्राकृतिक हीरों की कहानी पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।”

आने वाले दशक में बड़े बदलाव की उम्मीद
जोस अलुक्कास ग्रुप के प्रबंध निदेशक जॉन अलुक्कास ने कहा,
“भारत अगले दशक में वैश्विक हीरा बाजार में 150% की वृद्धि के साथ 18 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना रखता है। हमारा उद्देश्य इन खजानों को आधुनिक डिजाइनों में प्रस्तुत कर उपभोक्ताओं के लिए सुलभ बनाना है।”

प्राकृतिक हीरों की विरासत का सम्मान
ग्रुप के प्रबंध निदेशक पॉल जे अलुक्कास ने कहा,
“नेचुरल डायमंड काउंसिल के साथ हमारा सहयोग प्राकृतिक हीरों की विरासत को संरक्षित करने और उनकी सराहना को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ये प्राकृतिक खजाने आने वाली पीढ़ियों के लिए खुशियों का प्रतीक बने रहें।”

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