MIT-WPU ने छठे दीक्षांत समारोह में डॉ. कृष्णास्वामी विजय राघवन को ‘विज्ञान महर्षि सम्मान’ से नवाजा

पुणे: MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT-WPU) ने अपने छठे दीक्षांत समारोह में विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. कृष्णास्वामी विजय राघवन को ‘विज्ञान महर्षि सम्मान’ से सम्मानित किया। यह समारोह विज्ञान और शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और डॉ. विजय राघवन को इस विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया।

इस पुरस्कार के अंतर्गत डॉ. विजय राघवन को प्रशस्ति पत्र, माँ सरस्वती की प्रतिमा, और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्तमान में, डॉ. राघवन प्रधानमंत्री विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार परिषद के अध्यक्ष हैं। वे पूर्व में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार रह चुके हैं और परमाणु ऊर्जा विभाग के होमी भाभा चेयरमैन तथा राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र (NCBS) के एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत हैं।

डॉ. राघवन का प्रेरक संदेश

दीक्षांत समारोह में सम्मान प्राप्त करने पर आभार व्यक्त करते हुए डॉ. राघवन ने छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “कक्षाओं में बिताया गया समय शिक्षा का सिर्फ़ एक हिस्सा है। असल शिक्षा आपकी संवाद क्षमता और रिश्तों में जुड़ाव से परिलक्षित होती है। आज की दुनिया में जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी, और सतत विकास जैसी जटिल समस्याओं का समाधान खोजना बेहद जरूरी है, लेकिन इन चुनौतियों का सामना करने में हम सक्षम हैं।”

मुख्य अतिथि का संदेश

गजेंद्र सिंह शेखावत ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा, “आपकी कड़ी मेहनत और ज्ञान की प्यास ही आपकी सफलता के आधार होंगे। चुनौतियों का सामना करें और अपने परिवार, संगठन और समाज की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करें।” उन्होंने शिक्षा के मूल उद्देश्य को समझाते हुए कहा, “सिर्फ़ ज्ञान प्राप्त करना ही काफी नहीं है, बल्कि इसका सार्थक उपयोग कर समाज में सकारात्मक बदलाव लाना आवश्यक है।”

संस्थापक अध्यक्ष का दृष्टिकोण

MIT-WPU के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ डी. कराड ने विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन पर जोर दिया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा, “1893 के शिकागो सम्मेलन में विवेकानंद ने विज्ञान और आध्यात्मिकता के सह-अस्तित्व की बात कही थी, जो आज भी हमारा मार्गदर्शन करता है। हमें शिक्षा में अनुशासन और चरित्र निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए।”

MIT-WPU का भविष्य दृष्टिकोण

कार्यकारी अध्यक्ष राहुल वी. कराड ने तकनीकी शिक्षा में आध्यात्मिकता को शामिल करने पर बल दिया। उन्होंने भारत को विज्ञान और आध्यात्मिकता में “विश्व गुरु” बनाने की बात कही और छात्रों को नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “हमें पश्चिमी मॉडल्स की नकल करने के बजाय मौलिक सोच विकसित करनी चाहिए।”

अन्य विशिष्ट सम्मान और डिग्री वितरण

समारोह के दौरान अभिजीत पवार को ‘संस्थापक अध्यक्ष पदक’ और अनुश्री कुलकर्णी को ‘कार्यकारी अध्यक्ष पदक’ प्रदान किया गया। MIT-WPU ने 5,000 से अधिक छात्रों को इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान, व्यवसाय, स्वास्थ्य विज्ञान, पर्यावरण अध्ययन, कानून, और चेतना अध्ययन जैसे विषयों में डिग्रियाँ प्रदान कीं।

इस समारोह में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सलाहकार प्रो. राम चरण, संस्थापक न्यासी प्रो. पी. बी. जोशी, प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रो. डॉ. मंगेश टी. कराड, और विश्वविद्यालय के उप-कुलपति डॉ. आर. एम. चिटनिस सहित कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कर

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