सुप्रीम कोर्ट से उद्योगपति अडानी को राहत…….गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर रोक

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड को बड़ी राहत देकर गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य सरकार से कंपनी को आवंटित 108 हेक्टेयर चरागाह भूमि वापस लेने को कहा गया था। यह जमीन कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह के पास नवीनल गांव में स्थित है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार से पोर्ट कंपनी को आवंटित 108 हेक्टेयर भूमि वापस लेने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।
मामला 2005 का है, जब 108 हेक्टेयर जमीन अडानी पोर्ट्स को आवंटित हुई थी। 2010 में, जब कंपनी ने जमीन पर बाड़ लगाना शुरू किया, तब नवीनल गांव के निवासियों ने जनहित याचिका के साथ गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा कि अडानी पोर्ट्स को जो जमीन आवंटित हुई है, वह चारागाह भूमि है। उन्होंने याचिका में तर्क दिया कि गांव चारागाह भूमि की कमी का सामना कर रहा है। निवासियों के अनुसार, 276 एकड़ भूमि में से 231 एकड़ अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड को आवंटित होने के बाद गांव में केवल 45 एकड़ चरागाह भूमि बची है।
वर्ष 2014 में, राज्य सरकार ने कहा कि ग्रामीणों को चरागाह के लिए 387 हेक्टेयर सरकारी भूमि देने का आदेश पारित किया है, जिसके बाद अदालत ने मामले का निपटारा किया। लेकिन जब गुजरात सरकार ने 387 हेक्टेयर भूमि का आवंटन नहीं किया, तब ग्रामीणों ने गुजरात हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की। 2015 में, राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि ग्राम पंचायत के पास आवंटित करने के लिए केवल 17 हेक्टेयर सरकारी भूमि उपलब्ध है। राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया कि वे लगभग 7 किलोमीटर दूर शेष भूमि आवंटित कर सकती है।
ग्रामीणों ने अस्वीकार कर कहा कि यह मवेशियों के चरने के लिए बहुत दूर है। अप्रैल 2024 में गुजरात हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को समाधान निकालने का निर्देश दिया। राजस्व विभाग ने पीठ को सूचित किया कि राज्य सरकार ने लगभग 108 हेक्टेयर या 266 एकड़ चारागाह भूमि वापस लेने का फैसला किया है, जो पहले एपीएसईजेड को आवंटित की गई थी। गुजरात हाई कोर्ट ने इस पर संतुष्टि व्यक्त कर राज्य सरकार को इस प्रस्ताव को लागू करने का निर्देश दिया। इसके बाद अडानी पोर्ट्स ने गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

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