ITC की पहल से मुक्ता ठाकरे की सफलता और महिला किसानों का सशक्तिकरण

भारत में हर साल इस दिन को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कृषि में महिलाओं के योगदान को पहचानना और उन्हें सम्मान देना है। देश में लगभग 80% ग्रामीण महिलाएं कृषि से जुड़ी हैं, लेकिन इन्हें अक्सर किसान के रूप में मान्यता नहीं मिलती। महिला किसान दिवस का मकसद इस भेदभाव को खत्म करना और महिलाओं के अधिकारों और उनके योगदान को उजागर करना है।

मुक्ता ठाकरे की प्रेरणादायक यात्रा

महाराष्ट्र के अमरावती जिले की मुक्ता ठाकरे ITC की Climate Smart Agriculture (CSA) तकनीकों का उपयोग कर अपनी और अन्य महिलाओं की जिंदगी बदलने वाली एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं। आधुनिक खेती के तरीकों और आय के वैकल्पिक स्रोतों का प्रयोग कर उन्होंने न केवल अपनी आय बढ़ाई, बल्कि सैकड़ों महिलाओं को सशक्त भी किया।

मुक्ता ठाकरे कहती हैं, “CSA तकनीकों जैसे चौड़े बेड फरो, सोया की उन्नत किस्मों, पशुपालन, पोल्ट्री और वर्मीसेली उत्पादन से मेरी आय में बड़ा इज़ाफा हुआ है। मैं सालाना लगभग ₹6 लाख कमा रही हूं, जिसमें ₹4 लाख कृषि से और ₹2 लाख अन्य व्यवसायों से आते हैं।”
अब मुक्ता ‘कृषि सखी’ के रूप में 80-85 महिला किसानों को जलवायु-अनुकूल खेती की तकनीकों से प्रशिक्षित कर रही हैं, ताकि वे भी अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकें।

ITC की महिला सशक्तिकरण पहल

ITC की Climate Smart Agriculture पहल अब तक 1.95 लाख महिला किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण दे चुकी है। इसके तहत महिला किसान फील्ड स्कूल और महिला कृषि व्यवसाय केंद्र (ABC) की योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है।

ITC की महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रम ने 2.8 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस पहल ने न केवल कृषि क्षेत्र में, बल्कि छोटे व्यवसायों में भी महिलाओं को सशक्त किया है, जिससे उनके परिवारों के पोषण और शिक्षा स्तर में सुधार हुआ है।

लैंगिक असमानता को खत्म करने की दिशा में कदम

ITC का यह कार्यक्रम महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें लैंगिक असमानताओं से लड़ने और एक समतामूलक समाज के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है। अब तक इस पहल ने 29,184 महिलाओं के जीवन को बदल दिया है और यह मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और असम जैसे 8 राज्यों में सक्रिय है।

आर्थिक सशक्तिकरण से सामाजिक परिवर्तन की ओर

ITC की ये पहलें न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरित कर रही हैं। इन कार्यक्रमों के जरिए महिलाएं अपनी पहचान स्थापित कर रही हैं और स्थायी विकास की दिशा में अग्रसर हो रही हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य की नींव रखी जा रही है।

निष्कर्ष

ITC की पहल ने मुक्ता ठाकरे जैसी कई महिला किसानों के जीवन को बदलने में मदद की है। इन प्रयासों के कारण आज महिलाएं न केवल अपनी आय बढ़ा रही हैं, बल्कि अपने समुदायों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिला किसान दिवस पर ऐसे उदाहरण पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं।

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