पुणे: आज के दौर में OTT प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती लोकप्रियता के कारण मूवी थिएटरों की घटती अहमियत चिंता का विषय बन गई है। इसी संदर्भ में प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक रजित कपूर ने मूवी थिएटरों के अनुभव की अनूठी ताकत पर जोर देते हुए कहा कि चाहे तकनीक कितनी भी प्रगति कर ले, लेकिन थिएटर के प्रभाव की बराबरी कर पाना संभव नहीं है।
रजित कपूर, जो ‘ब्योमकेश बक्शी’ और ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों से मशहूर हैं, ने यह विचार MIT-वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के मीडिया एवं संचार विभाग द्वारा आयोजित मीडिया एवं पत्रकारिता राष्ट्रीय सम्मेलन (NCMJ) में व्यक्त किए। इस संवाद सत्र में उन्होंने छात्रों के साथ OTT प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया और थिएटर के बदलते परिदृश्य पर चर्चा की।
“थिएटर का अनुभव बेमिसाल है”
रजित कपूर ने कहा, “मूवी थिएटर वह जगह है जहां आप कहानी में पूरी तरह डूब जाते हैं। थिएटर का अनुभव ऐसा होता है जिसे छोटे स्क्रीन, आईपैड या फोन कभी प्रतिस्थापित नहीं कर सकते। मैं भी OTT पर कंटेंट देखता हूं, लेकिन थिएटर में फिल्म देखने का रोमांच अलग ही होता है।”
उन्होंने आगे कहा कि थिएटर में देखने का अनुभव केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि गहरी भावनाओं और जुड़ाव का एहसास कराता है। कपूर ने इस बात पर भी जोर दिया कि हालांकि OTT ने दर्शकों को नई स्वतंत्रता दी है, फिर भी थिएटर का अनुभव अपनी जगह कायम रहेगा।
सोशल मीडिया की बढ़ती भूमिका पर चिंता
रजित कपूर ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को लेकर युवाओं को आगाह किया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया हमारी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, लेकिन इससे जुड़ी जिम्मेदारियों को भी समझना जरूरी है। “सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय हमें अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का ध्यान रखना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं कि हम अपने शब्दों के प्रभाव की अनदेखी करें,” उन्होंने कहा।
सम्मेलन में मीडिया और तकनीकी बदलावों पर चर्चा
सम्मेलन का विषय “मीडिया और समाज: उभरता परिदृश्य” था, जिसमें पत्रकारिता के भविष्य, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका, और डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर चर्चा की गई। MIT-WPU के उप-कुलपति प्रो. (डॉ.) आर. एम. चिटनिस ने कहा, “AI मीडिया में तेजी से बदलाव ला रहा है, लेकिन नैतिकता के साथ तकनीक को अपनाना बेहद जरूरी है।”
इस कार्यक्रम में संसद टीवी के पूर्व CEO रवि कपूर, पुणे यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष सुनीत भावे, और प्रोड्यूसर सिद्धार्थ काक जैसे दिग्गजों ने भी हिस्सा लिया। सिद्धार्थ काक ने कंटेंट क्रिएटर्स से आग्रह किया कि वे सच्चाई और जिम्मेदारी के साथ कहानियां तैयार करें।
छात्रों के लिए ज्ञानवर्धक सत्र
इस आयोजन में कई प्रेरणादायक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें “शांतिदूतों की भूमिका में मीडिया” और “कहानी कहने की कला” जैसे विषय शामिल थे। छात्रों ने इन सत्रों में विशेषज्ञों के साथ गहन विचार-विमर्श किया, जिससे उन्हें मीडिया के बदलते स्वरूप को समझने का अवसर मिला।
MIT-WPU के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल वी. कराड ने सम्मेलन के समापन पर कहा, “मीडिया के पास समाज के भविष्य को आकार देने की ताकत है। हमें इस शक्ति का उपयोग सच्चाई और पारदर्शिता के साथ करना चाहिए, ताकि हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें।”
इस कार्यक्रम का आयोजन पुणे यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, आर.के. लक्ष्मण म्यूजियम और फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया के सहयोग से किया गया। सम्मेलन ने छात्रों, शिक्षकों और मीडिया पेशेवरों को संवाद और नेटवर्किंग के शानदार अवसर प्रदान किए।