बीजापुर। बीजापुर की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ भेजे गए अफजल खां की 10,000 सैनिकों की सेना का वध करते हुए, शिवाजी महाराज ने भारतीय इतिहास में एक और शानदार अध्याय जोड़ा।
अफजल खां की चुनौती
अफजल खां ने सौगंध खाई थी कि वह शिवाजी को घोड़े पर बैठे-बैठे ही बांधकर लाएगा। इसके बाद दोनों पक्षों में पत्र व्यवहार हुआ, जिसमें समझौते का नाटक किया गया।
शिवाजी महाराज की रणनीति
शिवाजी महाराज ने पेशवा और सेनापति नेताजी पालकर के नेतृत्व में दो बड़ी फौजों को प्रतापगढ़ के जंगलों में छिपे रहने का आदेश दिया। कृष्णजी भास्कर ने अफजल खां की योजना शिवाजी महाराज को पहले ही बता दी थी।
भेंट की तैयारी
भेंट की जगह पहुंचने पर, शिवाजी महाराज ने अफजल खां के डेरे के निकट सैयद बांदा को हटाने का संदेश भिजवाया। दोनों पक्षों के बीच चबूतरे पर मुलाकात हुई। शिवाजी महाराज दिखने में शस्त्रहीन थे, जबकि अफजल खां ने तलवार लटकाई हुई थी।
अफजल खां की कुटिल चाल और शिवाजी महाराज की प्रतिक्रिया
गले मिलने के समय, अफजल खां ने शिवाजी का गला दबाकर कटार से वार किया, लेकिन शिवाजी महाराज ने कवच पहन रखा था, जिससे वार खाली गया। इसके बाद शिवाजी महाराज ने बाघनखा से अफजल खां की आँतें चीर डालीं और बिछवा से वार किया। अफजल खां कराहते हुए चिल्लाया कि “मुझको धोखा देकर मार डाला।”
शिवाजी महाराज के आदमियों का साहस
शिवाजी महाराज के आदमियों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। सैयद बांदा ने हमला किया, लेकिन जीव महाला ने सैयद बांदा का एक हाथ काट दिया और उसे मार डाला। अफजल खां के आदमियों ने जख्मी अफजल खां को पालकी में बिठाया, लेकिन शम्भूजी कावजी ने पालकी गिरा दी और अफजल खां का सिर काटकर शिवाजी महाराज के पास लाया।
बीजापुर की सेना का पराजय
शिवाजी महाराज ने प्रतापगढ़ किले में तोप चलाकर अपने सैनिकों को संकेत दिया। मोरो त्रिम्बक और नेताजी पालकर ने बीजापुर की सेना को घेर लिया। बीजापुरी फौज के कई ऊँट, हाथी और 3,000 सैनिक मारे गए। शिवाजी महाराज की सेना ने 65 हाथी, 4,000 घोड़े, कई ऊँट और 10 लाख का धन और जेवर छीन लिए।
ऐतिहासिक विजय
यह शिवाजी महाराज की अब तक की सबसे बड़ी विजय थी, जिसने पूरे भारतवर्ष में उनका रुतबा फैला दिया। शिवाजी महाराज ने विजेताओं और वीरगति को प्राप्त होने वालों के परिवार वालों को धन, इनाम आदि दिए।
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