नई दिल्ली । भारतीय रेलवे यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल करने जा रही है। रेल मंत्रालय ने ‘कवच’ नामक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) सिस्टम को तेजी से लागू करने की योजना बनाई है, जिससे अगले पांच से छह वर्षों में इसे पूरे रेल नेटवर्क पर लागू किया जाएगा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह प्रणाली, यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली की तरह प्रभावी होने के साथ-साथ अधिक लागत-प्रभावी भी है।
कवच प्रणाली को पहली बार 2016 में डिज़ाइन किया गया था और इसे 2019 में एसआईएल-4 (सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल) प्रमाणन प्राप्त हुआ। हाल ही में, 16 जुलाई 2023 को इसे पुनः प्रमाणित किया गया। वर्ष 2021 में रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कवच का विशेष परीक्षण किया, जिसमें विपरीत दिशा में चलने वाली दो ट्रेनों के बीच संभावित दुर्घटना को टालने में इसकी क्षमता साबित हुई।
इस प्रणाली को आने वाले महीनों में 9,600 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइनों और 10,000 से अधिक लोकोमोटिव में स्थापित किया जाएगा। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, 3,000 किलोमीटर ट्रैक पर ‘कवच’ का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है और इसे अन्य मार्गों पर भी लागू करने की योजना है। संबंधित टेंडर जारी कर दिए गए हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 80 प्रतिशत रेल दुर्घटनाएं ड्राइवर की गलती के कारण होती हैं। कवच प्रणाली का मुख्य उद्देश्य इन मानवीय त्रुटियों को रोकना है। इसके साथ ही, रेल मंत्रालय ट्रैक की उचित देखरेख और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कई कदम उठा रहा है।
रेल मंत्री ने यह भी बताया कि ट्रैक पर पशुओं के आ जाने के कारण प्रतिदिन लगभग 800 घटनाएं होती हैं। इस समस्या से निपटने के लिए अहमदाबाद-मुंबई मार्ग पर ट्रैक के दोनों ओर बाड़ लगाई जा चुकी है, जिससे वहां पशु दुर्घटनाओं की घटनाएं शून्य हो गई हैं। इस व्यवस्था को वंदे भारत जैसी तेज गति वाली ट्रेनों के अन्य मार्गों पर भी लागू किया जाएगा।
यह पहल न केवल यात्रियों की सुरक्षा में सुधार लाएगी, बल्कि भारतीय रेलवे को एक सुरक्षित और आधुनिक परिवहन प्रणाली बनाने में भी मदद करेगी।