विजय शर्मा
वर्तमान समय में बेटियों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। ऐसे में बेटियों को सिर्फ पारंपरिक तौर-तरीकों तक सीमित रखने के बजाय उन्हें आत्मरक्षा के गुणों से सशक्त करना बेहद ज़रूरी है। एक नई अपील में कहा गया है, “बेटियों को पराठे बनाने की बजाय कराटे सिखाएं, एनसीसी (राष्ट्रीय कैडेट कोर) में भर्ती कराएं और उन्हें ब्यूटी पार्लर की जगह दुर्गावाहिनी जैसे संगठन में भेजें।”
यह संदेश आज के दौर में बेटियों को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
### **क्यों जरूरी है आत्मरक्षा?**
आज के समय में बेटियों की सुरक्षा पूरी तरह से उन पर ही निर्भर हो गई है। इसीलिए, लड़कियों को परंपरागत घरेलू कामों की बजाय आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट्स, कराटे और सेल्फ-डिफेंस जैसे कौशल सिखाने की सलाह दी जा रही है।
### **सुरक्षा के साथ-साथ सशक्तिकरण भी**
विशेषज्ञों का मानना है कि बेटियों को पारंपरिक ब्यूटी पार्लर कोर्स की बजाय एनसीसी, दुर्गावाहिनी या अन्य रक्षा-संगठनों में शामिल होने के लिए प्रेरित करना चाहिए, ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बन सकें। यह न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि उन्हें भविष्य में समाज की अग्रणी भूमिका निभाने के लिए भी तैयार करेगा।
### **सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम**
बेटियों को आत्मरक्षा के गुण सिखाना केवल उनकी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि उन्हें समाज में अपनी जगह बनाने के लिए सशक्त बनाना भी है। अब यह देखना होगा कि समाज इस संदेश को कितना स्वीकारता है और कितने माता-पिता अपनी बेटियों को कराटे, एनसीसी और दुर्गावाहिनी जैसी गतिविधियों में शामिल करने के लिए आगे आते हैं।
इस प्रकार के संदेशों से यह स्पष्ट हो गया है कि अब बेटियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर समाज का दृष्टिकोण बदल रहा है, और यह बदलाव आने वाले समय में और मजबूत हो सकता है।