संस्थापक पुखराज भटेले की चिंता: विदेशी सभ्यता के प्रभाव में खोता महिलाओं का सम्मान

पुखराज भटेले, संस्थापक *व्यवस्था परिवर्तन*, अध्यक्ष *बच्चे बचाओ अभियान*, और जिला प्रमुख *राजीव दीक्षित भारत निर्माण ट्रस्ट*, ने समाज में बढ़ते भौतिकवाद पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि पंडित जी आज भी महिलाओं को तिलक स्वयं नहीं लगाते हैं, क्योंकि पंडित समाज नारी शक्ति का झुक कर सम्मान करता है। लेकिन, आधुनिक युग और विदेशी सभ्यता ने महिलाओं का यह सम्मान समाप्त कर दिया है।

पारिवारिक उत्सवों में सजने-संवरने की जो परंपरा ननद, भाभी, देवरानी, जिठानी या परिवार की अन्य महिलाओं द्वारा निभाई जाती थी, अब बाजार में बिकने लगी है। यह एक बड़ी शर्म की बात है। पुखराज भटेले का कहना है कि हमें अपनी अगली पीढ़ी को कम से कम साड़ी पहनना सिखाना चाहिए, नहीं तो आजकल शादी-ब्याह में साड़ी और ब्लाउज पहनाने वालों को बुलाया जा रहा है।

आजकल, शादी समारोह में दुल्हन और उसके परिवार की पढ़ी-लिखी महिलाएं सजने के लिए सेंटरों पर जाने लगी हैं, जहां मेहंदी, साड़ी पहनाना, सैलून, टेलर और टैटू का काम पुरुष कर रहे हैं, वो भी संस्कारविहीन लोगों द्वारा। यह एक गंभीर सवाल है कि विदेशी सभ्यता और कथित आधुनिकता हमें कहाँ ले जाएगी।

महाभारत के समय एक गैर पुरुष द्वारा साड़ी खींचने पर युद्ध छिड़ गया था, लेकिन आज महिलाएं स्वयं अनजान पुरुषों से साड़ी पहनना और उतारना सीख रही हैं। यह प्रगति नहीं, बल्कि विनाश की ओर बढ़ता समाज है। संस्कारों का पतन ही हमारी मृत्यु का कारण बन सकता है।

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