नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार केंद्र की सत्ता संभालने के बाद भ्रष्ट और कामचोर अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने अब उन अधिकारियों और कर्मचारियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो कार्य में लापरवाही बरतते हैं या निर्णय लेने में असमर्थ हैं, और उन्हें समय से पहले रिटायर करने का निर्णय लिया गया है।
मिशन मोड में काम करने के निर्देश
प्रधानमंत्री मोदी ने काउंसिल ऑफ़ मिनिस्टर्स की बैठक में सभी मंत्रियों और सचिवों को मिशन मोड में काम करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मंत्रालयों के कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने की बात कही और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को तेज करने का आदेश दिया है।
अधिकारियों का मूल्यांकन
मोदी ने केंद्रीय सिविल सेवा नियमों का जिक्र करते हुए कहा कि सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यों का मूल्यांकन किया जाए। ईमानदार अधिकारियों को पुरस्कृत किया जाए, जबकि भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारियों को समय से पहले रिटायर कर दिया जाए। प्रधानमंत्री ने पिछले 10 साल में प्राप्त 4.5 करोड़ शिकायतों का उल्लेख करते हुए स्थिति में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।
3 महीने का नोटिस
यदि कोई सरकारी कर्मचारी सेवा में बने रहने के लिए अयोग्य साबित होता है, तो उसे तीन महीने का नोटिस देकर सेवानिवृत्त किया जा सकता है। 55 वर्ष की उम्र पूरी होने पर भी उन्हें रिटायर किया जा सकता है। इन नियमों के तहत अब तक 500 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया गया है।
समीक्षा की प्रक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने सभी मंत्रियों से यह भी कहा है कि वे अधिकारियों और कर्मचारियों के कामकाज की निरंतर समीक्षा करें और भ्रष्ट और कामचोर कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाएं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम मोदी का कड़ा कदम, अधिकारियों की सेवा समाप्त, अयोग्य कर्मचारियों पर कार्रवाई