नई दिल्ली: आजकल हार्ट अटैक के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, विशेषकर युवा वर्ग में। 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया गया, जिसका उद्देश्य दिल के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। इस वर्ष की थीम “यूज़ हार्ट फॉर एक्शन” थी, जो लोगों को अपने दिल का विशेष ध्यान रखने के लिए प्रेरित करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में हृदय रोग का प्रकोप न केवल पुरुषों में बल्कि महिलाओं में भी बढ़ रहा है।
हर साल, हृदय रोग से लगभग 17.9 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है, और इसका मुख्य कारण खराब जीवनशैली है। हालिया शोधों से पता चला है कि कोविड-19 भी हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट अटैक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए नियमित स्वास्थ्य जांच कराना आवश्यक है। वे रक्त जांच और महत्वपूर्ण परीक्षणों की सलाह देते हैं, ताकि हाइपरलिपिडिमिया और मधुमेह जैसे हार्ट अटैक के संभावित कारणों का समय पर पता लगाया जा सके। वैश्विक अध्ययनों में यह सामने आया है कि भारतीयों में हार्ट अटैक का खतरा सबसे अधिक है, जो युवाओं के लिए चिंता का विषय है।
इसके अलावा, जेनेटिक कारण भी हार्ट अटैक के मामलों में योगदान करते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि डिजिटल युग में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं और नियमित परीक्षण कराकर उचित कदम उठा रहे हैं। एपोलिपोप्रोटीन ई और एपोलिपोप्रोटीन ए1 जैसे कुछ मार्करों का हार्ट डिजीज से सीधा संबंध है। साधारण परीक्षणों के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल स्तर, रक्तचाप, सूजन, और हृदय स्वास्थ्य से संबंधित बीमारियों का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
इसलिए, हार्ट अटैक से बचाव के लिए जागरूकता और नियमित स्वास्थ्य जांच अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।