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लोकपाल ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच से मांगा स्पष्टीकरण, हिंडनबर्ग के आरोपों पर मचा बवाल

नई दिल्ली। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद, लोकपाल ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच से जवाब मांगा है। यह कदम एक लोकसभा सांसद और दो अन्य शिकायतकर्ताओं द्वारा दाखिल शिकायतों के बाद उठाया गया है। शिकायतों में बुच और उनके पति धवल बुच पर अडानी समूह से जुड़े विदेशी फंड में कथित हिस्सेदारी और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है।

4 सप्ताह का समय, अगली सुनवाई 19 दिसंबर को

लोकपाल ने स्पष्ट किया है कि यह स्पष्टीकरण मांगना केवल प्रक्रियात्मक कदम है और इसे किसी निष्कर्ष के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। माधबी पुरी बुच को इन आरोपों पर विस्तृत जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।

क्या हैं आरोप?

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बुच दंपति का अडानी समूह से जुड़े विदेशी फंड में निवेश है। इसके अलावा, रिपोर्ट में सेबी द्वारा अडानी समूह की जांच में कथित ढीलापन बरतने का भी आरोप है।

बुच दंपति ने किया आरोपों से इनकार

माधबी पुरी बुच और उनके पति ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे उनकी और सेबी की साख को धूमिल करने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।

विपक्ष का भी दबाव

विपक्षी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मामले को उठाते हुए सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से इसकी प्राथमिक जांच की मांग की है। इससे राजनीतिक हलकों में भी इस मुद्दे पर गर्मा-गर्म बहस छिड़ गई है।

लोकपाल की प्रक्रिया और सेबी की साख दांव पर

लोकपाल ने इस मामले को लेकर पारदर्शिता बरतने का आश्वासन दिया है। हालांकि, सेबी प्रमुख पर लगे आरोप और उनकी जांच की प्रक्रिया से सेबी की साख और इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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