नई दिल्ली : शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत पर पूरा देश नतमस्तक है। कैप्टन अंशुमान सिंह ने अपने साथियों को आग से बचाने के लिए अपनी जान दे दी। उनकी बहादुरी और पराक्रम के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने यह सम्मान कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह को प्रदान किया।
शहीद की पत्नी पर परिवार के आरोप
कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति ने सम्मान ग्रहण करने के बाद अपनी लव स्टोरी सुनाई, लेकिन शहीद के माता-पिता ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनकी मां मंजू सिंह ने बताया कि स्मृति नोएडा के घर से सारा सामान पैक करके ले गई। शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार से मिलने वाले मुआवजे का बड़ा हिस्सा स्मृति को मिला और उन्होंने परिवार को कोई हिस्सा नहीं समझा।
मुआवजे की धनराशि
शहीद के पिता ने बताया कि यूपी सरकार के 35 लाख रुपये स्मृति को मिले और 15 लाख उन्हें मिले। आर्मी इंश्योरेंस की राशि भी 50-50 में बंटी। बाकी पुरस्कार की राशि और कीर्ति चक्र की पेंशन भी स्मृति को मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्मृति ने परिवार को कभी अपना हिस्सा नहीं समझा।
परिवार से दूर होने का दर्द
कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता ने बताया कि स्मृति ने परिवार छोड़कर जाने के बाद एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया, जो सत्य से परे था। उन्होंने कहा कि अंशुमान सिंह की पत्नी ने कहा कि उनकी लंबी बातचीत हुई थी, जबकि ऐसा नहीं हुआ था। शहीद के पिता ने आरोप लगाया कि स्मृति ने 1 फरवरी को हुए पूजन में भी हिस्सा नहीं लिया।
सास-ससुर के साथ सिर्फ 5 महीने
शहीद के पिता ने बताया कि स्मृति सास-ससुर के साथ सिर्फ 5 महीने रही। उनके माता-पिता का अधिक इन्फ्लुएंस रहा और बहू से ज्यादा उनके माता-पिता ही बातचीत करते थे। कैप्टन की मां ने कहा कि कुछ दिन बाद स्मृति ने सबकुछ छोड़ दिया। रवि प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि स्मृति की पहले से प्लानिंग थी कि उन्हें परिवार से कोई रिश्ता नहीं रखना है।
पूजन में गैरमौजूदगी
रवि प्रताप सिंह ने बताया कि 26 जनवरी को बेटे को सम्मान देने की घोषणा हुई थी, तभी उन्होंने पूजा कराने के बारे में बताया। लेकिन जब पूजा के लिए बुलाया तो स्मृति ने फोन उठाने से इनकार कर दिया।