भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। इसी कड़ी में तमिलनाडु में समुद्र के ऊपर बना नया पांबन ब्रिज भारतीय रेलवे की अभूतपूर्व उपलब्धि है। यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज है, जो रामेश्वरम द्वीप को मंडपम से जोड़ता है।
समुद्र पर इंजीनियरिंग का चमत्कार
इस पुल का सबसे बड़ा आकर्षण इसका वर्टिकल लिफ्ट सिस्टम है, जो बड़े जहाजों को गुजरने की अनुमति देता है। यह ब्रिज भारत की नवाचार क्षमता, आधुनिक तकनीक और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
नया पांबन ब्रिज बनाम पुराना ब्रिज
पुराना पांबन ब्रिज (1914) भारत का पहला समुद्री पुल था, जिसने 106 वर्षों तक सेवा दी।
नया पांबन ब्रिज (2025) 2.08 किलोमीटर लंबा और 3 मीटर ऊंचा है, ताकि बड़े जहाज भी आसानी से गुजर सकें।
इसमें 99 स्पैन और 72.5 मीटर का वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जो जहाजों के लिए 17 मीटर तक ऊपर उठ सकता है।
तकनीकी विशेषताएँ
18.3 मीटर के 99 स्पैन से निर्मित, जिससे यह अधिक मजबूत और टिकाऊ बना।
333 पाइल्स और 101 पाइल कैप्स का उपयोग, जो इसे समुद्री तूफानों से बचाते हैं।
स्टेनलेस स्टील और पॉलिसिलोक्सेन पेंट से संरक्षित, जिससे यह 58 वर्षों तक सुरक्षित रहेगा।
धार्मिक और पर्यटन महत्व
रामेश्वरम, जहां यह ब्रिज स्थित है, भगवान राम और भगवान शिव से जुड़ा एक पवित्र स्थल है। यह पुल श्रद्धालुओं की यात्रा को आसान बनाएगा और पर्यटन व व्यापार को बढ़ावा देगा।
प्रधानमंत्री मोदी करेंगे उद्घाटन
6 अप्रैल 2025 (राम नवमी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यह पुल भारत की तकनीकी प्रगति, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बनेगा।
नया पांबन ब्रिज: भारत की आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण
