अमरनाथ यात्रा का हिंदू ही नहीं मुस्लिमों को भी रहता है इंतजार, करते हैं स्वागत

घोड़ों पर बैठाकर यात्रियों को कराते हैं बाबा बर्फानी के दर्शन
जम्मू । जम्मू-कश्मीर में बाबा अमरनाथ यात्रा की यात्रा शुरु हो चुकी है। कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार सुबह साढ़े 3 बजे 4,603 श्रद्धालुओं का पहला जत्था बालटाल कैंप से अमरनाथ गुफा के लिए रवाना हुआ। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जब यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। पैदल, पालकी, घोड़े और हेलिकॉप्टर से यात्रा करके श्रद्धालु आज अमरनाथ गुफा तक पहुंचेंगे और बाबा बर्फानी के दर्शन करेंगे।
बताया जाता है कि सबसे पहले अमरनाथ बाबा का एक मुस्लिम को ही पता चला था उसने ही हिंदू भाइयों को इसके बारे में बताया उसके बाद से ही बाबा बर्फानी के दर्शन करने लोग आने लगे थे। हर साल होने वाली अमरनाथ की इस यात्रा का इंतजार सिर्फ श्रद्धालु को नहीं बल्कि कश्मीर के मुस्लिमों को भी रहता है। स्थानीय कश्मीरी लोगों का कहा है कि अमरनाथ यात्रा का वे लोग साल भर से इंतजार करते हैं। इन्हीं लोगों में गुलाम मुस्तफा भी शामिल हैं, जो पिछले 16 सालों से अमरनाथ यात्रियों को अपने घोड़े पर बिठाकर गुफा तक पहुंचाता हैं। मुस्तफा राजौरी के रहने वाले हैं और यात्रा शुरू होने से करीब 10 दिन पहले ही उन्हें पैदल घोड़ों को लेकर कश्मीर आना पड़ता है।
मुस्तफा कहते हैं कि उनका कारोबार ही यह यात्रा है। इन यात्रियों के आने से ही हमारा रोजगार चलता है। 40 या 50 दिन तक चलने वाली यात्रा में कमाए हुए पैसों से ही हम सालभर अपना घर चलाते हैं। वहीं सोनमर्ग के रहने वाले मसरत ने बताया कि देशभर से आने वाले इन यात्रियों के आने से हमारा काम चलता है। उन्होंने कहा कि हम यहां आने वाले यात्रियों का दिल से स्वागत करते हैं।
बता दें कि शनिवार को अनंतनाग में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदेरबल में 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से 52 दिनों तक चलने वाली यह तीर्थयात्रा शुरू हो चुकी है, जो 19 अगस्त तक चलेगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए तीन लाख पचास हजार से ज्यादा लोगों ने पंजीयन कराया है। इस पवित्र गुफा तक पहुंचने के दोनों रास्तों पर 125 सामुदायिक लंगर स्थापित किए गए हैं और हजारों लोग यहां दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की मदद कर रहे हैं।

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