प्रयागराज। जनवरी 2025 में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम तट पर विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक मेले महाकुंभ 2025 का आयोजन किया जाएगा। यह महाकुंभ भव्यता और दिव्यता के नए रिकॉर्ड स्थापित करने जा रहा है। खास बात यह है कि महाकुंभ के दौरान, विशेष रूप से तीन दिन ऐसे होंगे जब संगम नगरी की जनसंख्या विश्व के 41 देशों की कुल आबादी से भी अधिक हो जाएगी।
तीन विशेष दिन बनेंगे ऐतिहासिक
29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के मुख्य शाही स्नान पर्व से पहले और बाद के तीन दिनों में लगभग 6.5 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम नगरी पहुंचने की उम्मीद है। इस दौरान प्रयागराज की आबादी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों को भी पीछे छोड़ देगी।
कल्पवासियों और सुरक्षा बलों का अद्भुत संगम
कल्पवासी: महाकुंभ में करीब 12 लाख कल्पवासी संगम तट पर जप-तप और साधना करेंगे।
सुरक्षा बल: इस आयोजन में सवा लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे। यह संख्या कई छोटे देशों की पूरी जनसंख्या से अधिक है।
41 देशों की कुल आबादी से अधिक होगी संगम की भीड़
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में जुटने वाली भीड़ का आंकड़ा दुनिया के 41 छोटे देशों की कुल आबादी से अधिक होगा। इनमें शामिल हैं:
8 छोटे देश, जिनकी कुल आबादी से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होगी।
12 देश, जिनमें कुल 7 लाख लोग रहते हैं, जबकि महाकुंभ में 12 लाख कल्पवासी उपस्थित होंगे।
41 देश, जिनकी संयुक्त आबादी करीब सवा छह करोड़ है।
महाकुंभ की भव्यता और रिकॉर्ड
महाकुंभ 2025 सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक होगा। यह आयोजन दुनिया के सबसे बड़े मेले के रूप में अपनी पहचान बनाएगा, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत, और पर्यटक भाग लेंगे।
महाकुंभ 2025 का आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति की भव्यता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि यह आयोजन वैश्विक स्तर पर भी एक ऐतिहासिक उदाहरण बनेगा। श्रद्धालुओं की भीड़, साधु-संतों की उपस्थिति और सुरक्षा इंतजाम इसे विश्व का सबसे बड़ा आयोजन बना देंगे।