महाकुंभ में रिकॉर्ड तोड़ भीड़: पहले दो दिनों में 5.15 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान
प्रयागराज के महाकुंभ ने इतिहास रच दिया है। पहले दो दिनों में 5.15 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम तट पर स्नान कर इस भव्य आयोजन को विश्व रिकॉर्ड की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। मकर संक्रांति के पावन अवसर पर 3.50 करोड़ और पहले दिन 1.65 करोड़ लोगों ने पवित्र स्नान किया।
महाकुंभ की खासियत: धर्म, संस्कृति और समरसता का संगम
यह महाकुंभ अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए चर्चा में है।
शांति और समरसता का प्रतीक: इतने बड़े आयोजन के बावजूद न कोई हिंसा हुई, न किसी की जाति, धर्म या नागरिकता पूछी गई।
सामूहिकता का अनोखा उदाहरण: हर वर्ग—गरीब-अमीर, देशी-विदेशी—ने समान रूप से भाग लिया और धर्म का पालन करते हुए आनंद उठाया।
श्रद्धालुओं के लिए भव्य इंतजाम
प्रयागराज में करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए भोजन, पानी, और रहने की व्यवस्थाएं की गईं। इनमें से लाखों श्रद्धालुओं को मुफ्त सुविधाएं भी दी गईं।
आधुनिक प्रबंधन: इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद कोई अव्यवस्था नहीं हुई।
मौन सेवा: कोई प्रचार-प्रसार या श्रेय लेने की होड़ नहीं, केवल सेवा का भाव दिखा।
दुनिया में बेजोड़ आयोजन
महाकुंभ जैसा आयोजन दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता।
धर्म और संस्कृति का अलौकिक संगम: यहां हर धर्म और संस्कृति का सम्मान किया गया।
आध्यात्मिकता का उत्सव: श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान कर अपनी आस्था को मजबूत किया और संगम की अलौकिकता का अनुभव किया।
प्रयागराज: तीर्थों का राजा
यह महाकुंभ न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक समरसता और प्रशासनिक कुशलता का अनोखा उदाहरण बन गया है। प्रयागराज का यह महाकुंभ अविस्मरणीय, अकल्पनीय और अलौकिक है, जो दुनिया भर के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
प्रयागराज के इस आयोजन ने दिखा दिया कि आस्था और सेवा का मेल कैसे शांति, समरसता और भाईचारे का संदेश पूरी दुनिया में फैला सकता है।