नई दिल्ली । काली और सफेद मिर्च का नियमित सेवन विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। जहां काली मिर्च मसालों का प्रमुख घटक है, वहीं सफेद मिर्च हल्के और पौष्टिक व्यंजनों में अपनी जगह बनाती है। दोनों का संतुलित उपयोग सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। भारत के केरल राज्य में काली मिर्च का लगभग 90 प्रतिशत उत्पादन होता है, जिससे यह राज्य इस मसाले का प्रमुख केंद्र है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी अब इसकी खेती की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मसालों की दुनिया में काली और सफेद मिर्च का विशेष स्थान है। जहां काली मिर्च को मसालों का राजा कहा जाता है, वहीं सफेद मिर्च भी अपने अनोखे स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के कारण जानी जाती है। दोनों मिर्च एक ही पौधे से आती हैं, लेकिन इनके तैयार करने के तरीके अलग-अलग होते हैं, जिससे इनके गुणों में भी अंतर होता है। काली मिर्च का उपयोग मुख्य रूप से मसालेदार व्यंजनों में किया जाता है। इसमें मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है। आयुर्वेद में काली मिर्च का उपयोग सर्दी-खांसी, दांत दर्द और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है।
इसके अलावा, यह वजन घटाने में भी मददगार है और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखती है। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है। सफेद मिर्च का उपयोग हल्के व्यंजनों जैसे सलाद और सूप में किया जाता है। इसमें मौजूद विटामिन सी, विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट्स इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। सफेद मिर्च का सेवन आंखों और मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है। यह पाचन को बेहतर बनाती है और शरीर में फाइबर की पूर्ति करती है। इंडोनेशिया सफेद मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक है, जबकि मलेशिया और ब्राजील भी इसे काफी मात्रा में उत्पादन करते हैं।