नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर भारत लगातार शांति प्रयासों में जुटा हुआ है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को बताया कि भारत दोनों देशों के बीच संवाद कायम करने की कोशिश कर रहा है ताकि युद्ध के कारण पैदा हुए मतभेदों को सुलझाया जा सके। अमेरिकी थिंक टैंक ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देना है, ताकि शांतिपूर्ण समाधान निकल सके।”
विदेश मंत्री ने भारत की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “हमारी स्थिति स्पष्ट है कि देशों के बीच मतभेद युद्ध के माध्यम से सुलझाए नहीं जा सकते। इसके बजाय, बातचीत से ही समाधान की उम्मीद की जानी चाहिए।” जयशंकर ने यह भी कहा कि युद्ध के मैदान से किसी निर्णायक परिणाम की उम्मीद करना सही नहीं है। इसलिए, अंततः सभी पक्षों को किसी न किसी बिंदु पर वार्ता की मेज पर आना ही होगा।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की फ्रांस के राष्ट्रपति से महत्वपूर्ण बैठक
भारत के इन शांति प्रयासों का एक उदाहरण हाल ही में पेरिस में देखने को मिला, जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की। बैठक के दौरान डोभाल ने रूस और यूक्रेन के बीच भारत की कूटनीतिक पहल और दोनों देशों के नेताओं—रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की—के साथ भारत के संवाद के बारे में जानकारी साझा की।
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जिसमें यूरोप में जारी युद्ध के अलावा मध्य-पूर्व में इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष और लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर भी चर्चा हुई। पेरिस और नई दिल्ली के अधिकारियों का मानना है कि भारत की तटस्थ और संतुलित नीति के चलते वह रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में एक सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
राष्ट्रपति मैक्रों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक स्थिति और दोनों पक्षों के साथ मजबूत संबंध होने की वजह से भारत, रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता कर शांति वार्ता में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही, डोभाल ने फ्रांस के राजनयिक सलाहकार और मुख्य सैन्य सलाहकार के साथ बैठक में भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर भी चर्चा की।
निष्कर्ष: भारत की यह सक्रियता दर्शाती है कि वह वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत है। रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता के लिए भारत का प्रयास न केवल उसकी तटस्थ विदेश नीति को दर्शाता है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वैश्विक कूटनीतिक छवि को भी और मजबूत करता है।