ललितपुर । विष्णु तिवारी, जिन्हें कुछ लोग ‘जन्मजात करोड़पति’ कह सकते हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है।
– **SC/ST एक्ट के तहत फर्जी आरोप**: 18 साल की उम्र में जेल, 20 साल बाद निर्दोष साबित हुए।
– **गरीबी की मार**: केस लड़ने के पैसे भी नहीं थे, मजबूरी में सारी ज़मीन बिक गई।
– **परिवार की त्रासदी**: माता-पिता और भाई की मौत हो गई, अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके।
– **व्यक्तिगत जीवन की बर्बादी**: गरीबी और जेल के कारण विवाह भी नहीं हो पाया।
अब सवाल उठता है, क्या सरकार या कानून 20 साल की इस त्रासदी को लौटा सकते हैं? क्यों इन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला? किसी मानवाधिकार संगठन ने इनके लिए आवाज क्यों नहीं उठाई? क्या इसे ही ‘कास्ट प्रिविलेज्ड’ कहा जाता है?
विष्णु तिवारी की यह दर्दनाक कहानी आपको भावुक कर देगी, लेकिन यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वाकई में वे ‘प्रिविलेज्ड’ हैं?