कटनी:इन दिनों सोशल मीडिया पर कटनी जीआरपी थाने का 29 अक्टूबर 2023 का एक वीडियो खूब चर्चाओं में है, जिसमें पुलिस अपराधियों से सख्ती से पूछताछ करती नजर आ रही है। कांग्रेस इस वीडियो को दलित महिला के उत्पीड़न के नाम पर भुनाने की कोशिश कर रही है, जबकि सच्चाई कुछ और ही है।
**वीडियो में नजर आने वाली महिला और उसके परिवार की आपराधिक पृष्ठभूमि**
वीडियो में दिख रही महिला के खिलाफ विभिन्न थानों में कई गंभीर अपराध दर्ज हैं। वहीं, वीडियो में नजर आ रहे युवक और इस मामले से जुड़े दीपक वंशकार के खिलाफ भी कई गंभीर आपराधिक मामले पंजीबद्ध हैं। दीपक वंशकार पर 19 से अधिक मामले दर्ज हैं, और वह 10,000 रुपये का इनामी अपराधी है। उसकी आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए, जिला बदर की कार्यवाही भी की गई है।
**मामला कैसे आया सुर्खियों में?**
दीपक वंशकार, जो जीआरपी थाना कटनी में निगरानीशुदा बदमाश है, के खिलाफ 18 से अधिक अपराध दर्ज हैं। वह चोरी और लूटपाट की घटनाओं में शामिल रहा है। उसकी आपराधिक गतिविधियों के चलते पुलिस ने उसकी गैंग हिस्ट्रीशीट भी खोली है। इस मामले को लेकर कटनी का एक तथाकथित पत्रकार दिनेश प्रजापति ने पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की। उसने जीआरपी टीआई अरूणा वाहने से 5 लाख रुपये की मांग की, ताकि वह अपने पास मौजूद वीडियो को डिलीट कर सके। जब उसकी मांग नहीं मानी गई, तो उसने यह वीडियो वायरल कर दिया।
**कांग्रेस की राजनीति और सच्चाई**
कांग्रेस इस वीडियो को दलित महिला के उत्पीड़न के नाम पर इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस के नेताओं ने अपने ट्वीट में यह दावा किया है कि पुलिस दलित महिला का उत्पीड़न कर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि जीआरपी टीआई अरूणा वाहने खुद दलित समाज से हैं, और यह कार्यवाही किसी दुर्भावना के तहत नहीं की गई थी।
दीपक वंशकार जैसे अपराधियों द्वारा की गई लूटपाट और चोरी के कारण आमजन को होने वाली पीड़ा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में, पुलिस ने अपराधियों से सख्ती से पूछताछ की तो इसमें गलत क्या है?
इस मामले की पहले भी दो बार जांच हो चुकी है, लेकिन अब यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। कांग्रेस द्वारा इसे दलित उत्पीड़न के रूप में पेश करना, सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास है।