नई दिल्ली । देश में आवारा कुत्तों के आश्रय और देखभाल को लेकर अक्सर बहस होती रहती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246(3) के तहत, पशुपालन राज्य का विषय है, जिसका अर्थ है कि राज्य सरकारें और स्थानीय निकाय इस मुद्दे को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
संविधान और कानूनों के अनुसार कुत्तों के आश्रय स्थल
अनुच्छेद 243(W) के अनुसार, राज्य विधानसभाओं को स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने का अधिकार है ताकि वे आवारा कुत्तों के लिए आश्रय स्थल उपलब्ध करा सकें। बारहवीं अनुसूची के तहत, नगर पालिकाओं को शहरी क्षेत्रों में कुत्तों और अन्य जानवरों की देखभाल के लिए योजनाएं लागू करने की अनुमति है। नगर निगम और स्थानीय प्रशासन कुत्तों के टीकाकरण, नसबंदी और आश्रय स्थलों की स्थापना के लिए जिम्मेदार हैं।
भारत में आवारा कुत्तों के मुद्दे और समाधान
आवारा कुत्तों की संख्या में बढ़ोतरी, जिससे रोग और हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। स्थानीय निकायों द्वारा बनाए गए आश्रय स्थलों की कमी, जिससे सड़कों पर कुत्तों को अनियंत्रित रूप से घूमने दिया जाता है। एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) प्रोग्राम और टीकाकरण योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन आवश्यक। एनजीओ और पशु प्रेमियों द्वारा चलाए जा रहे निजी डॉग शेल्टर्स को अधिक समर्थन की आवश्यकता।
राज्य सरकारों और नगर निकायों की जिम्मेदारी
राज्य सरकारों को स्थानीय निकायों के माध्यम से कुत्तों के लिए आश्रय स्थल विकसित करने के निर्देश देने चाहिए। नगर निगमों को आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए। पशुपालन विभाग को एनजीओ के साथ मिलकर आश्रय स्थल, फूड सप्लाई और पशु चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
भारत में कुत्तों के आश्रय स्थल: संविधान में क्या कहता है कानून?
