श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस महीने के अंत में एक ऐतिहासिक मिशन लॉन्च करने की तैयारी में है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो के स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SPADEX) को लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में यानों के डॉकिंग और अंडॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
क्या है स्पेस डॉकिंग?
स्पेस डॉकिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें अंतरिक्ष में एक यान दूसरे यान से जुड़ता है। यह तकनीक अंतरिक्ष में साझा मिशन, मॉड्यूलर अंतरिक्ष केंद्र, और चंद्रमा जैसे अभियानों के लिए उपयोगी होती है।
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि मिशन के लिए प्रक्षेपण यान PSLV-C60 को लॉन्च पैड पर स्थापित कर दिया गया है। इसके जरिए दो छोटे अंतरिक्ष यान, जिनका वजन लगभग 220 किलोग्राम है, 470 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में भेजे जाएंगे।
मिशन का उद्देश्य
स्पेस डॉकिंग और अंडॉकिंग के लिए आवश्यक तकनीक का विकास।
भारत के भविष्य के मिशनों, जैसे चंद्रमा से सैंपल लाने और अंतरिक्ष केंद्र के निर्माण के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल।
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत को नई ऊंचाई पर पहुंचाना।
भारत बनेगा चौथा देश
अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत स्पेस डॉकिंग तकनीक हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले यह तकनीक अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देशों के पास है।
PSLV-C60 से होगा लॉन्च
इसरो ने जानकारी दी है कि PSLV-C60 रॉकेट का इस्तेमाल इस मिशन के लिए किया जाएगा। मिशन को दिसंबर तक पूरा करने की योजना है।
भविष्य के लिए नई संभावनाएं
स्पेस डॉकिंग तकनीक चंद्रमा और मंगल जैसे अभियानों के लिए जरूरी मानी जाती है। यह तकनीक कई रॉकेट्स के सहयोग से बड़े अभियानों को सफल बनाने में मदद करती है।