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योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान: “केवल मुरली नहीं, धर्म की रक्षा के लिए सुदर्शन भी जरूरी”

त्रिपुरा । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्रिपुरा में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि केवल मुरली से काम नहीं चलेगा, धर्म और समाज की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र भी जरूरी है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जब सुदर्शन आपके पास होगा, तो किसी को बलिदान देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

### धर्म की रक्षा पर बल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में धर्म की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, “अगर आप धर्म की रक्षा करेंगे, तो धर्म भी आपकी रक्षा करेगा। लेकिन अगर स्वार्थवश धर्म का त्याग करेंगे, तो धर्म भी उसी प्रकार का प्रतिउत्तर देगा।” उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में “यतो धर्मस्ततो जयः” का सिद्धांत हमेशा से रहा है, और यही मार्गदर्शन हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

### त्रिपुरा में डबल इंजन सरकार का जिक्र
योगी आदित्यनाथ ने त्रिपुरा की डबल इंजन सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सरकार तेज गति से सर्वांगीण विकास कर रही है। उन्होंने बांग्लादेश की सीमा के पार रहने वाले लोगों की स्थिति पर भी प्रकाश डाला और बताया कि भारत में धार्मिक और सामाजिक प्रगति हो रही है, जबकि सीमा पार के हालात छिपे हुए नहीं हैं।

### पाकिस्तान पर तीखा हमला
अपने भाषण में पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1947 के विभाजन के लिए कौन लोग जिम्मेदार थे, इसकी सही जानकारी देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर 1905 में बंग-भंग की साजिश विफल हो सकती है, तो मुस्लिम लीग की साजिश को भी रोका जा सकता था। पाकिस्तान को उन्होंने ‘नासूर’ बताते हुए कहा कि जब तक इसका “ऑपरेशन” नहीं होगा, तब तक इस समस्या का समाधान नहीं निकलेगा।

### आरएसएस और कांग्रेस पर विचार
योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका की प्रशंसा की और कहा कि यदि आरएसएस ने कांग्रेस के साथ संधि कर ली होती, तो देश का विभाजन नहीं होता और न ही हिंदुओं का नरसंहार होता। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि सत्ता की लालसा में उसने देश का विभाजन स्वीकार किया।

### निष्कर्ष
योगी आदित्यनाथ का यह बयान न केवल धर्म की रक्षा पर बल देता है, बल्कि भारत के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक इतिहास पर भी गहराई से प्रकाश डालता है। त्रिपुरा में दिए गए इस बयान से स्पष्ट होता है कि केवल मुरली से नहीं, बल्कि सुदर्शन जैसे सुरक्षा प्रतीकों के साथ ही धर्म और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

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