Opinion

मध्यप्रदेश ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वैश्विक प्रयासों के अनुरूप, मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पर्यावरण संरक्षण के सपनों को साकार करने की दिशा में, मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। वर्ष 2012 में प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता लगभग 500 मेगावॉट थी, जो अब बढ़कर 7000 मेगावॉट हो गई है—एक वृद्धि जो विगत 12 वर्षों में लगभग 14 गुना रही है। वर्तमान में, नवकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी राज्य की कुल ऊर्जा क्षमता में 21 प्रतिशत है। राज्य सरकार ने वर्ष 2030 तक नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता को 20,000 मेगावॉट तक बढ़ाने की योजना बनाई है।

मध्यप्रदेश की विश्व-स्तरीय सौर परियोजनाएँ, जैसे कि रीवा और ओंकारेश्वर, देश भर में राज्य सरकार की संकल्प शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक बन चुकी हैं। रीवा सोलर प्रोजेक्ट, जो 1590 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है, विश्व के सबसे बड़े सिंगल साइड सौर संयंत्रों में से एक है। इस परियोजना से उत्पादित ऊर्जा का 76 प्रतिशत हिस्सा पावर मैनेजमेंट कम्पनी द्वारा उपयोग किया जाता है, जबकि शेष 24 प्रतिशत ऊर्जा को दिल्ली मेट्रो जैसे व्यावसायिक संस्थानों को भी प्रदान किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप प्रतिवर्ष 15.7 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की रोकथाम होती है, जो 2 करोड़ 60 लाख पेड़ों के समान है।

रीवा प्रोजेक्ट को वर्ष 2017 में भारत सरकार की “A Book of Innovation: New Beginnings” में शामिल किया गया और हार्वर्ड विश्वविद्यालय तथा सिंगापुर मैनेजमेंट विश्वविद्यालय द्वारा केस स्टडी के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस प्रोजेक्ट को वर्ल्ड बैंक प्रेसीडेंट अवार्ड और नवाचार के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।

वर्तमान में, मध्यप्रदेश में आगर-शाजापुर-नीमच क्षेत्र में 1500 मेगावॉट क्षमता का सोलर पार्क निर्माणाधीन है, जिसमें आगर जिले में 550 मेगावॉट की क्षमता स्थापित हो चुकी है। शाजापुर और नीमच जिलों में अक्टूबर 2024 तक 780 मेगावॉट की क्षमता पूरी कर दी जाएगी। मंदसौर में भी 250 मेगावॉट का सोलर पार्क तैयार किया गया है।

माँ नर्मदा के ओंकारेश्वर में विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट विकसित किया जा रहा है, जिसकी क्षमता 600 मेगावॉट होगी। इस परियोजना से बहुमूल्य भूमि की बचत होगी और जल वाष्पीकरण को कम किया जा सकेगा।

प्रदेश सरकार की नई नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 का उद्देश्य प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास करना है। प्रधानमंत्री कुसुम-अ और कुसुम-स योजनाओं के तहत किसानों को ऊर्जा उत्पादक बनने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। पीएम सूर्य लक्ष्मी योजना के तहत सभी सरकारी भवनों पर सोलर रूफटॉप की स्थापना का कार्य 2025 तक पूरा किया जाएगा।

मध्यप्रदेश 2030 तक प्रधानमंत्री मोदी के 500 गीगावॉट नवकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की पूर्ति के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय रोल मॉडल के रूप में उभरने का लक्ष्य रखता है।

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