शेख हसीना अब 76 साल की हो चुकी हैं और 20 साल से ज्यादा समय से सत्ता में हैं। उन्होंने बांग्लादेश की कमान संभालने के बाद इसे एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था में बदल दिया है, जो उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों में शामिल है।
बांग्लादेश की विकास यात्रा 90 के दशक से शुरू हुई, जब इरशाद की सैन्य सरकार ने विदेशी सहायता और नई नीतियों के माध्यम से बदलाव की शुरुआत की। इस यात्रा में एनजीओ की भूमिका महत्वपूर्ण रही। स्व-सहायता समूहों, माइक्रोक्रेडिट, और छोटे व्यवसायों के संगठनीकरण ने देश की नींव को मजबूत किया। बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस को नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला।
इन इकाइयों ने कौशल विकास और आधुनिकीकरण के साथ विदेशी कंपनियों से अनुबंध प्राप्त किए। सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने में निपुणता हासिल की, जिससे एडिडास और नाइकी जैसे बड़े ब्रांड्स अपने उत्पाद बांग्लादेश में बनवाने लगे। यह साबित करता है कि जब जनता आगे बढ़ना चाहे और सरकार उसे सही माहौल, नीतियां, और समर्थन प्रदान करे, तो चमत्कार हो सकता है।
इरशाद और खालिदा के दौर में जो “लेबोरेटरी टेस्ट” शुरू हुआ था, शेख हसीना के नेतृत्व में वह तेजी से जमीन पर उतरा। बीस सालों में प्रति व्यक्ति आय और जीवन स्तर में सुधार हुआ। भूख, बीमारी और गरीबी में कमी आई और महिलाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिला।
हालांकि, प्रशासन और राजनीति अलग चीजें हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के लोग राजनीतिक स्वतंत्रता चाहते हैं और वे सरकारें बदलना चाहते हैं। लोकतंत्र उन्हें यह अवसर देता है। लेकिन यहां की राजनीति में सांप्रदायिकता का बड़ा प्रभाव है।
शेख हसीना ने बांग्लादेश में स्थिरता लाई, लेकिन इसके लिए कई हथकंडे अपनाए। सत्ता में बने रहने के लिए उन्होंने वही तरीके अपनाए, जो कभी इंदिरा गांधी ने भारत में अपनाए थे। यह डर भी हो सकता है कि विपक्ष में होने का मतलब झूठे मुकदमे, जेल, या अन्य परेशानियां हो सकती हैं।
इंदिरा गांधी ने चुनाव कराए और हारने के बाद भी डटी रहीं, जेल गईं और फिर से राजनीति में मजबूत वापसी की। लेकिन हसीना के पास उम्र नहीं थी। उन्हें पहले ही राजनीति से विदा ले लेनी चाहिए थी।
हालांकि, बांग्लादेश की 20 करोड़ जनता को उन्होंने एक बेहतर जीवन दिया। शेख मुजीब की बेटी होने के नाते हसीना ने अपना काम पूरा किया है। उन्हें मलाल नहीं होना चाहिए। पिता से मिलते समय उन्हें शाबाशी ही मिलेगी, क्योंकि उनकी बेटी ने अपना काम पूरा कर लिया है।