Opinion

तमिलनाडु के एक मंदिर में अंधे पुजारी के व्यवहार ने सुधा मूर्ति को किया प्रभावित

इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति के साथ तमिलनाडु की यात्रा के दौरान एक ऐसा अनुभव हुआ, जिसने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। यात्रा के दौरान उनकी कार खराब हो गई, और ड्राइवर के सुझाव पर सुधा मूर्ति पास के एक मंदिर में रुक गईं। यहां के पुजारी अंधे थे, लेकिन उनका स्वागत और व्यवहार बेहद आत्मीय था।

मंदिर में पुजारी ने श्रद्धापूर्वक आरती की, जिसके बाद सुधा मूर्ति ने उन्हें 100 रुपये का दान दिया। पुजारी ने यह रकम देखकर कहा कि यह बहुत ज्यादा है। हालांकि, सुधा मूर्ति उनकी और भी मदद करना चाहती थीं और उन्होंने पुजारी को 20,000 रुपये देने की पेशकश की।

लेकिन पुजारी ने इस पेशकश को विनम्रता से ठुकरा दिया और जो बात कही, वह दिल को छू लेने वाली थी। उन्होंने कहा, “मैं नहीं जानता कि आप कौन हैं, लेकिन मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं। जीवन में कभी यह गलती मत करना। अगर आप मुझे यह पैसे देंगी, तो यह मेरे लिए बोझ बन जाएगा। ग्रामीण अभी हमारी देखभाल करते हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चलेगा कि मेरे पास बैंक में 20,000 रुपये हैं, वे पैसे के लालच में हमारी सेवा करेंगे। भगवान ने हमें जो दिया है, वह हमारे लिए पर्याप्त है।”

पुजारी की सरलता और ईमानदारी ने सुधा मूर्ति को बहुत प्रभावित किया। यह कहानी सुधा मूर्ति ने खुद साझा की है, और यह उनकी एक सच्ची घटना है, जो जीवन में सादगी और संतोष का महत्व बताती है।

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