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वीर शिरोमणि रूपन बारी जी की 1200वीं जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई गई

नई दिल्ली: पूरे भारत में बारी समाज ने वीर शिरोमणि रूपन बारी जी की 1200वीं जयंती को उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया। राष्ट्रीय योद्धा बारी कल्याण महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण वर्मा ने बारी समाज के सभी लोगों को बधाई देते हुए बताया कि वीर शिरोमणि रूपन बारी जी आल्हा उदल के परम मित्र और वफादार सेनापति थे। इस अवसर पर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात, उड़ीसा, तेलंगाना सहित पूरे देश में समाज के लोगों ने धूमधाम से कार्यक्रम आयोजित किए।

बारी समाज के वीर योद्धाओं की गौरवशाली परंपरा

अरुण वर्मा ने वीर शिरोमणि रूपन बारी जी की वीरता और समाज की वफादारी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बारी जाति के लोग इतिहास में ईमानदार, वफादार और वीर योद्धाओं के रूप में प्रसिद्ध थे। राजाओं और महाराजाओं ने बारी जाति के वीरों को सेनापति और अंगरक्षक के रूप में रखा था। बारी जाति के कई योद्धाओं को उनकी बहादुरी के कारण राजाओं ने अपना राज्य भी सौंपा। वर्मा ने दिल्ली में शहीद हुए रतन लाल बारी का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज के लोगों में आज भी वही वफादारी और वीरता मौजूद है।

वीर शिरोमणि रूपन बारी का ऐतिहासिक योगदान

वीर शिरोमणि रूपन बारी जी का जन्म 1100 ईस्वी में महोबा में हुआ था। वे बचपन से ही एक कुशल योद्धा थे और आल्हा ने उनकी वीरता को देखते हुए उन्हें अपनी सेना का सेनापति बनाया। वे हर युद्ध में पहले भेजे जाते थे और हमेशा विजयी होकर लौटते थे। उनकी वीरता के कारण उन्हें छतरपुर के लौड़ी तहसील में स्थित बारीगढ़ का राजा बनाया गया था। वीर शिरोमणि रूपन बारी की बहादुरी के कारण आल्हा उदल ने पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दिया था, अन्यथा इतिहास कुछ और हो सकता था।

बारीगढ़: एक ऐतिहासिक धरोहर

बारीगढ़ का किला, जो छतरपुर जिले में स्थित है, आज भी बारी समाज के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। वीर शिरोमणि रूपन बारी जी को इस किले का राजा बनाया गया था। इतिहासकारों के अनुसार, बारी जाति के वीर योद्धाओं ने इस किले और राज्य की रक्षा की थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण वर्मा ने बारी समाज से आग्रह किया कि वे इस ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण और पुनरोद्धार करने के लिए राज्य सरकार से मांग करें।

समाज के उत्थान के लिए आवश्यक कदम

अरुण वर्मा ने कहा कि बारी समाज के लोगों को अपनी ऐतिहासिक धरोहरों पर गर्व करना चाहिए और उनके संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि वीर शिरोमणि रूपन बारी जी की जयंती न केवल समाज के लिए एक गर्व का अवसर है, बल्कि समाज की पहचान और इतिहास को संरक्षित रखने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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