लेखक: राजा पटेरिया, पूर्व मंत्री
भारत, जिसकी 2024 में GDP लगभग ₹330 लाख करोड़ ($4 ट्रिलियन) है, आर्थिक विकास के मामले में वैश्विक स्तर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। 1.4 अरब की विशाल आबादी के साथ भारत में प्रति व्यक्ति आय औसतन ₹2.3 लाख ($2,800) है। लेकिन यह औसत आंकड़ा देश में धन के असमान वितरण की गहरी सच्चाई को छिपा नहीं सकता।
असमानता की स्थिति: अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई
भारत के दो सबसे बड़े उद्योगपति, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी, की कुल संपत्ति ही ₹16.5 लाख करोड़ ($200 बिलियन) है।
टॉप 10 अमीर व्यक्तियों की संपत्ति ₹34.65 लाख करोड़ ($420 बिलियन) है।
टॉप 200 अमीर व्यक्तियों की कुल संपत्ति ₹82.5 लाख करोड़ ($1 ट्रिलियन) के करीब पहुंच चुकी है।
भारत की शीर्ष 1% आबादी के पास ₹132 लाख करोड़ ($1.6 ट्रिलियन) की संपत्ति है।
जबकि शीर्ष 5% के पास ₹206.25 लाख करोड़ ($2.5 ट्रिलियन) है।
अमीरों को अलग करने पर बदलती प्रति व्यक्ति आय
अगर इन शीर्ष अमीरों की संपत्ति को देश की संपत्ति से हटा दिया जाए, तो भारत की प्रति व्यक्ति आय चौंकाने वाली गिरावट दिखाती है:
अंबानी और अडानी को हटाने पर प्रति व्यक्ति आय ₹2.25 लाख ($2,700) रह जाती है।
टॉप 10 अमीर व्यक्तियों को अलग करने पर यह घटकर ₹2.08 लाख ($2,500) हो जाती है।
टॉप 200 अमीर को निकालने पर यह ₹1.73 लाख ($2,150) तक गिर जाती है।
शीर्ष 1% आबादी को हटाने पर यह ₹1.39 लाख ($1,730) रह जाती है।
शीर्ष 5% को अलग करने पर प्रति व्यक्ति आय मात्र ₹90,400 ($1,130) हो जाती है।
असमानता के नतीजे
यह अंतिम आंकड़ा भारत को सब-सहारन अफ्रीकी देशों की प्रति व्यक्ति आय से भी नीचे ले जाता है। भारत में आर्थिक विकास के साथ-साथ संपत्ति का असमान वितरण एक गंभीर चिंता का विषय है, जो नीतिगत सुधारों और सामाजिक न्याय के लिए ठोस कदमों की मांग करता है।