इलाहाबाद । सोशल मीडिया पर भड़काऊ या आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी पोस्ट को केवल ‘लाइक’ (Like) करना आपराधिक कृत्य नहीं माना जा सकता, जब तक कि उसे शेयर या फॉरवर्ड न किया गया हो। यह फैसला सोशल मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल एक्टिविटी की कानूनी व्याख्या के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
मामला उत्तर प्रदेश के आगरा से जुड़ा है, जहां पुलिस ने इमरान खान नामक युवक के खिलाफ एक भड़काऊ पोस्ट को लाइक करने के आरोप में FIR दर्ज कर ली थी। पुलिस ने इमरान पर आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसे हाईकोर्ट ने अनुचित बताते हुए निरस्त कर दिया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने साफ कहा कि –
> “सिर्फ किसी पोस्ट को लाइक करना यह दर्शाता है कि व्यक्ति उससे सहमत है या उसे पसंद करता है, लेकिन यह शेयर या प्रचार-प्रसार करने के बराबर नहीं माना जा सकता। जब तक व्यक्ति स्वयं उस पोस्ट को साझा या प्रसारित नहीं करता, तब तक इसे आईटी एक्ट या आपराधिक कानूनों के अंतर्गत अपराध नहीं कहा जा सकता।”
इस फैसले के प्रमुख प्रभाव
सोशल मीडिया यूजर्स के अधिकारों की रक्षा हुई है।
आईटी एक्ट की गलत व्याख्या और दुरुपयोग को रोकने का रास्ता खुला है।
पुलिस और प्रशासन को अब सोशल मीडिया गतिविधियों की जांच में अधिक स्पष्टता रखनी होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट को केवल लाइक करना अपराध नहीं, सिर्फ शेयर करना मानेगा जाएगा दोष
