भोपाल में सुपरमून का अद्भुत नजारा: आंचलिक विज्ञान केंद्र में स्कूली बच्चों ने किया अवलोकन और खगोल विज्ञान पर चर्चा

भोपाल, : आंचलिक विज्ञान केंद्र, भोपाल में आज स्कूली छात्रों के लिए एक अनोखा अवसर प्रदान किया गया, जहां सुपरमून की दुर्लभ खगोलीय घटना का अवलोकन किया गया। सुपरमून उस स्थिति को कहते हैं, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है और सामान्य से बड़ा और चमकदार दिखाई देता है। इस अद्वितीय क्षण को देखने के लिए बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और खगोल विज्ञान से जुड़े सवालों पर चर्चा की।

सुपरमून का खगोलीय महत्व

आज रात चंद्रमा पृथ्वी से मात्र 3,57,175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था, जिसके कारण यह 14% बड़ा और 30% अधिक चमकीला दिखाई दिया। सामान्य परिस्थितियों में चंद्रमा की दूरी लगभग 4 लाख 5 हजार किलोमीटर होती है, जिसे माइक्रोमून कहा जाता है। सुपरमून के दौरान चंद्रमा का प्रकाश अधिक तेज प्रतीत होता है, जो सूर्य की रोशनी का परावर्तन है।

एडवांस्ड टेलीस्कोप से चंद्रमा का अवलोकन

कार्यक्रम में लगभग 160 लोगों, जिनमें अधिकतर स्कूली बच्चे शामिल थे, ने एडवांस्ड कंप्यूटराइज्ड टेलीस्कोप की मदद से चंद्रमा की सतह का बारीकी से अवलोकन किया। उन्होंने चंद्रमा पर मौजूद गड्ढों, पहाड़ों और अन्य भू-आकृतियों को देखा और विज्ञान केंद्र के क्यूरेटर से सवाल-जवाब किए। छात्रों ने पूछा, “क्या पृथ्वी के अलावा ब्रह्मांड में कहीं और जीवन संभव है?” और “जुपिटर ग्रह के लाल धब्बे का रहस्य क्या है?” विज्ञान केंद्र की टीम ने इन प्रश्नों के रोचक उत्तर देकर बच्चों की जिज्ञासा को बढ़ावा दिया।

छात्रों में वैज्ञानिक रुचि जगाने का प्रयास

आंचलिक विज्ञान केंद्र के परियोजना समन्वयक श्री साकेत सिंह कौरव ने कहा, “ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य विद्यार्थियों में विज्ञान और खगोल विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करना है। सुपरमून जैसी घटनाएं बच्चों की वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देती हैं और उन्हें इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करती हैं।”

खगोल विज्ञान में भविष्य की रुचि का संचार

कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने इस अनुभव को अविस्मरणीय बताया और कहा कि उन्होंने चंद्रमा के बारे में कई नई जानकारियां प्राप्त कीं। इस कार्यक्रम ने न केवल बच्चों में वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित किया, बल्कि खगोल विज्ञान के प्रति उनकी रुचि को भी बढ़ावा दिया।

भोपाल आंचलिक विज्ञान केंद्र द्वारा लगाए गए एडवांस्ड टेलीस्कोप के माध्यम से इस खगोलीय घटना का अवलोकन संभव हुआ। यह कार्यक्रम बच्चों के लिए एक सीखने का अनूठा अवसर था, जिसमें उन्होंने विज्ञान को नजदीक से समझा और खगोल विज्ञान के प्रति गहरी रुचि विकसित की।

Exit mobile version