भोपाल के नंदीश्वर जिनालय में जनक जननी सम्मान समारोह में भाव विभोर करने वाला दृश्य

भोपाल। चातुर्मास के दौरान राजधानी भोपाल के जैन मंदिरों में चल रहे धार्मिक अनुष्ठानों के बीच, नंदीश्वर जिनालय परिसर में एक अद्वितीय और भावनात्मक जनक जननी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन में भारतीय संस्कृति और संस्कारों की रक्षा के संदेश के साथ, आचार्य विनम्र सागर महाराज के सानिध्य में विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान महावीर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और मंगलाचरण से हुई, जिसमें सभी उपस्थित लोगों ने नवकार महामंत्र का वाचन कर देश की उन्नति और बुजुर्गों की दीर्घायु की कामना की।

इस दौरान, आचार्य श्री के शिष्य मुनि, आर्यिका माता, ब्रह्मचारिणी दीदी और भैया ने अपने माता-पिता तुल्य आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन किया। शास्त्र भेंट और नवीन कमंडल का वेट भी इस अवसर पर किया गया।

चातुर्मास समिति के मीडिया प्रभारी अंशुल जैन ने बताया कि जब समाज के बुजुर्गों और माता-पिता का उनके बच्चों और परिवारजनों द्वारा सम्मान किया गया, तो वहां उपस्थित सभी लोग भाव विभोर हो गए। यह अनूठा दृश्य नंदीश्वर जिनालय परिसर में जनक जननी सम्मान समारोह के दौरान देखने को मिला।

इस अवसर पर आचार्य श्री ने कहा, “भगवान की भक्ति एक बार छोड़ देना, पर माता-पिता की सेवा का सौभाग्य कभी मत छोड़ना। दुनिया में सब कुछ मिल सकता है, लेकिन माता-पिता कभी दोबारा नहीं मिलेंगे।”

भोपाल के विभिन्न जैन मंदिरों में भी आचार्यों और मुनियों के सानिध्य में अनुष्ठान निरंतर जारी हैं। अशोका गार्डन जैन मंदिर में मुनि विश्व सूर्य सागर महाराज, शाहपुरा जैन मंदिर में मुनि सुदत्त सागर महाराज, मुनि भूदत्त सागर महाराज और छूलक चंद्रदत्त सागर महाराज के सानिध्य में पूजा-अर्चना के साथ अनुष्ठान हुए।

इसके साथ ही, चौक जैन मंदिर में आर्यिका गुरुमति माताजी और आर्यिका दृढ़ मति माताजी के सानिध्य में विशेष पूजा अर्चना की गई। शंकराचार्य जिनालय में आर्यिका विमल श्री माताजी, विन्हे श्री माताजी, और वितप श्री माताजी के सानिध्य में कल्याण मंदिर विधान का आयोजन हुआ। अयोध्या नगर जैन मंदिर में आर्यिका अकलंक मति माताजी और आर्यिका सिद्ध मति माताजी के सानिध्य में भगवान पार्श्वनाथ का अभिषेक और शांतिधारा की गई।

**निष्कर्ष**: जनक जननी सम्मान समारोह ने नंदीश्वर जिनालय में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के दिलों को छू लिया, जहां माता-पिता के प्रति सम्मान और सेवा का संदेश प्रमुखता से उभर कर सामने आया।

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