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श्रम विभाग बंद करने की मांग: अनिल बाजपेई का मुख्यमंत्री को पत्र

भोपाल: वरिष्ठ कर्मचारी नेता और निगम मंडल बोर्ड परिषद के सदस्य अनिल बाजपेई ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर श्रम विभाग और श्रम आयुक्त कार्यालयों को बंद करने की मांग की है। बाजपेई ने कहा कि श्रम विभाग के आदेशों का पालन न होने से आउटसोर्स और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी

बाजपेई ने अपने पत्र में बताया कि श्रम विभाग द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों और दैनिक वेतनभोगियों के लिए जो नियम लागू किए जाते हैं, उनका एजेंसियां पालन नहीं करतीं। न तो इन कर्मचारियों को बोनस और ग्रेच्युटी दी जाती है, न ही जीवन बीमा जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।

बाजपेई ने आरोप लगाया कि श्रम विभाग कंपनियों को लाइसेंस तो जारी करता है, लेकिन उसके बाद किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं रख पाता। परिणामस्वरूप, एजेंसियां कर्मचारियों का शोषण करती हैं और उनके साथ मनमानी करती हैं।

मुख्यमंत्री से श्रम विभाग बंद करने की मांग

बाजपेई ने कहा, “श्रम विभाग के अस्तित्व का कोई औचित्य नहीं रह गया है, क्योंकि यह विभाग कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में विफल साबित हो रहा है।” उन्होंने मुख्यमंत्री से विभाग को तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग की है।

नेताओं का समर्थन

इस मांग के समर्थन में कई कर्मचारी नेताओं ने भी अपनी आवाज बुलंद की है:

अरुण वर्मा, हाथीमअली अंसारी, आदर्श शर्मा, मुकेश साहू, धीरेन्द्र शर्मा, चेतन तिवारी, मनोज दुबे (ग्वालियर संभाग अध्यक्ष)

मदन लाल चौधरी (उज्जैन संभाग अध्यक्ष)

गोलू यादव (भोपाल संभाग अध्यक्ष)

पंकज मिश्रा और आशिक खान (इंदौर संभाग अध्यक्ष)


प्रमुख समस्याएं

कर्मचारियों को बोनस और ग्रेच्युटी का अभाव

जीवन बीमा और अन्य सुविधाओं की अनुपलब्धता

एजेंसियों द्वारा मनमानी और कर्मचारियों का शोषण

श्रम विभाग का कंपनियों पर नियंत्रण कमजोर होना

बाजपेई और अन्य नेताओं का मानना है कि जब श्रम विभाग अपने उद्देश्य में विफल है, तो इसे बंद कर देना ही उचित है।

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