एम्स भोपाल में विश्व ग्लूकोमा सप्ताह पर जागरूकता अभियान, निशुल्क नेत्र जांच शिविर आयोजित

दृष्टि हानि से बचाव के लिए नियमित नेत्र परीक्षण पर विशेषज्ञों ने दिया जोर

भोपाल। एम्स भोपाल में विश्व ग्लूकोमा सप्ताह (10-16 मार्च) के तहत जागरूकता कार्यक्रम और नेत्र जांच शिविरों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में यह अभियान ग्लूकोमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी प्रारंभिक पहचान व रोकथाम पर केंद्रित है।

ग्लूकोमा, जिसे “मूक दृष्टि चोर” (Silent Thief of Sight) कहा जाता है, दृष्टि हानि का एक प्रमुख कारण है, जो अक्सर शुरुआती चरणों में बिना किसी लक्षण के विकसित होता है। 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, परिवार में ग्लूकोमा का इतिहास रखने वाले और मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को इसका अधिक जोखिम होता है।

एम्स भोपाल के जागरूकता अभियान की प्रमुख गतिविधियां:

विशेषज्ञ व्याख्यान: अग्रणी नेत्र रोग विशेषज्ञों द्वारा ग्लूकोमा के लक्षण, जोखिम और रोकथाम पर चर्चा।
नुक्कड़ नाटक एवं जागरूकता अभियान: आम जनता तक जानकारी पहुंचाने के लिए रचनात्मक प्रस्तुतियां।
निशुल्क नेत्र जांच शिविर: मरीजों की आई प्रेशर टेस्टिंग, विज़ुअल फील्ड टेस्ट और फंडस परीक्षण के साथ प्रारंभिक स्क्रीनिंग।
सोशल मीडिया जागरूकता अभियान: डिजिटल माध्यमों से ग्लूकोमा के बारे में जानकारी प्रसारित करना।

ग्लूकोमा जांच और प्रारंभिक पहचान क्यों जरूरी?

नेत्र विज्ञान विभाग की प्रमुख, डॉ. भावना शर्मा ने कहा, “ग्लूकोमा एक ऐसा नेत्र रोग है, जो अगर समय पर पकड़ा न जाए, तो यह स्थायी अंधत्व का कारण बन सकता है। खासतौर पर 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को नियमित नेत्र परीक्षण कराना चाहिए।”

प्रारंभिक जांच के लिए जरूरी परीक्षण:
आई प्रेशर चेकअप (Tonometry) – आंखों के अंदरूनी दबाव की जांच
विज़ुअल फील्ड टेस्ट (Perimetry) – दृष्टि क्षेत्र की स्थिति का विश्लेषण
फंडस परीक्षण (Ophthalmoscopy) – ऑप्टिक नर्व की स्थिति का परीक्षण


– प्रो. (डॉ.) अजय सिंह का संदेश:

“ग्लूकोमा एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। अधिकतर मामलों में शुरुआती लक्षण न होने के कारण लोग समय पर इसका पता नहीं लगा पाते, जिससे अपरिवर्तनीय दृष्टि हानि हो सकती है। इस जागरूकता अभियान का उद्देश्य लोगों को समय पर जांच कराने के लिए प्रेरित करना और ग्लूकोमा की रोकथाम में मदद करना है।”

एम्स भोपाल नागरिकों से अपील करता है कि वे अपनी नेत्र सुरक्षा को प्राथमिकता दें, नियमित नेत्र जांच कराएं और ग्लूकोमा के प्रति जागरूकता बढ़ाएं।

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