भोपाल। माननीय सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों के अनुपालन में भोपाल जिले में ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउडस्पीकर, डीजे, संबोधन प्रणाली) के अनियंत्रित और नियम विरुद्ध उपयोग पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। ध्वनि प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाए गए हैं।
ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, अत्यधिक शोर से मनुष्य की काम करने की क्षमता, नींद, और संवाद प्रभावित होते हैं। कोलाहलपूर्ण वातावरण उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव, अनिद्रा, और सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है।
प्रमुख निर्देश
भोपाल जिले में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत निम्न आदेश लागू किए गए हैं:
1. रात्रि प्रतिबंध
रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक किसी भी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यंत्रों या तेज संगीत का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा।
सार्वजनिक आपात स्थिति को छोड़कर यह नियम सख्ती से लागू होगा।
2. डीजे और ध्वनि यंत्र संचालन पर नियम
सभी डीजे संचालकों, होटलों, रेस्टोरेंट और बार को नियमानुसार लाइसेंस लेना अनिवार्य है।
प्रत्येक डीजे यूनिट पर केवल एक साउंड सिस्टम, जो निर्धारित मानकों के अनुसार हो, का उपयोग किया जा सकेगा।
3. समारोहों में उपयोग की अनुमति
सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग केवल अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी या पुलिस उपायुक्त की अनुमति से किया जा सकेगा।
यह अनुमति अधिकतम दो घंटे की होगी और केवल कार्यक्रम परिसर तक सीमित रहेगी।
ध्वनि स्तर भारत सरकार द्वारा निर्धारित Ambient Air Quality Standards in respect of Noise के अंतर्गत होना चाहिए।
4. कानूनी अनुपालन
ध्वनि प्रदूषण (नियमन और नियंत्रण) नियम 2000 और मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के प्रावधानों का पालन अनिवार्य होगा।
5. उल्लंघन पर दंड
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 की धारा 15 और 16 के तहत जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही, ध्वनि उपकरणों को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन की अपील
प्रशासन ने सभी नागरिकों, धार्मिक स्थलों, और व्यवसायिक संगठनों से इन दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है। शोर-शराबे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से यह कदम उठाए गए हैं ताकि सभी को शांत और स्वस्थ वातावरण मिल सके।