भोपाल। पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा का नियुक्ति पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। इस नियुक्ति पत्र को लेकर अब विभागीय प्रक्रिया और कार्यशैली पर भी चर्चा हो रही है।
क्या है मामला?
सौरभ शर्मा का नियुक्ति पत्र 29 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन परिवहन आयुक्त डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव द्वारा जारी किया गया था। आदेश के अनुसार, सौरभ को 2 वर्ष के लिए अस्थाई नियुक्ति दी गई थी।
नियुक्ति अवधि से अधिक कार्यकाल:
हालांकि नियुक्ति केवल 2 वर्ष के लिए थी, लेकिन विभाग ने सौरभ को 7 वर्षों तक सेवा में बनाए रखा। इस अवधि में कोई स्पष्ट आदेश या नियमितिकरण की प्रक्रिया सामने नहीं आई, जिससे मामले पर सवाल उठ रहे हैं।
मुख्य बिंदु:
1. नियुक्ति पत्र का वायरल होना:
सोशल मीडिया पर नियुक्ति पत्र वायरल होने से यह मामला सुर्खियों में आ गया है।
2. अस्थाई नियुक्ति:
सौरभ शर्मा को केवल 2 वर्ष के लिए परिवहन विभाग में नियुक्त किया गया था।
3. विभाग की चुप्पी:
विभाग ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अंदरूनी चर्चा तेज है।
सवाल जो उठ रहे हैं:
क्या नियुक्ति प्रक्रिया नियमानुसार थी?
2 वर्ष की अवधि के बाद सौरभ को सेवा में क्यों बनाए रखा गया?
क्या यह विभागीय लापरवाही का मामला है या किसी विशेष आदेश का पालन किया गया?
विभागीय जांच की मांग:
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद विभागीय अधिकारियों पर जांच और स्पष्टता के लिए दबाव बढ़ रहा है।