भोपाल: रिश्वतखोरी पर सख्त कानून की मांग, वरिष्ठ कर्मचारी नेता अनिल बाजपेई ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
भोपाल ।।मध्य प्रदेश में रोजाना तीन से चार सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाते हैं, लेकिन कानून की लचीलापन के चलते वे जल्दी ही जमानत पर रिहा हो जाते हैं और अपने पद पर वापस काम करने लगते हैं। इस समस्या पर चिंता जताते हुए वरिष्ठ कर्मचारी नेता अनिल बाजपेई ने कहा कि रिश्वतखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न होने के कारण उनके हौसले बुलंद हैं।
अनिल बाजपेई ने बताया कि रिश्वतखोरी के मामलों में पकड़े जाने के बाद भी कई कर्मचारियों को तत्काल निलंबित नहीं किया जाता, और अगर निलंबन होता भी है तो वह दो-तीन महीने बाद होता है। कुछ मामलों में तो निलंबन भी नहीं किया जाता, और दोषी कर्मचारियों को या तो उन्हीं पदों पर बनाए रखा जाता है या फिर उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाता है।
इस गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए, अनिल बाजपेई ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राज्य के कानून मंत्री से पत्र के माध्यम से कानून में संशोधन की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि रिश्वतखोर कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए और जिन व्यक्तियों ने रिश्वत दी है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।
बाजपेई ने कहा कि जब तक कानून में आवश्यक संशोधन नहीं होते, तब तक राज्य में जितने भी रिश्वतखोर पकड़े गए हैं, उन्हें तुरंत निलंबित कर उनके सभी महत्वपूर्ण कार्यों से मुक्त किया जाए। उनका मानना है कि इस दिशा में कठोर कदम उठाने से ही भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सकता है।