इंदौर लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई: रिश्वत लेते परियोजना समन्वयक ट्रैप

इंदौर: लोकायुक्त पुलिस ने आज एक बड़ी कार्रवाई में जिला परियोजना समन्वयक श्रीमती शीला मेरावी को 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह रिश्वत राशि, आवेदक दिलीप बुधानी, जो MP पब्लिक स्कूल अशोक नगर और MP किड्स स्कूल अंजली नगर के संचालक हैं, से मांगी गई थी।

मामले का विवरण

दिलीप बुधानी के दोनों स्कूल सरकार से विधिक मान्यता प्राप्त हैं और 2019-2024 के दौरान छात्रों को कक्षा 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षाओं में शामिल कराया गया था। इसके बावजूद, आरटीआई कार्यकर्ता संजय मिश्रा ने जिला परियोजना समन्वयक के कार्यालय से जानकारी प्राप्त कर उन्हें धमकाना शुरू कर दिया।

आवेदक का आरोप है कि मिश्रा ने स्कूलों की मान्यता रद्द कराने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया और जांच रोकने तथा भविष्य में कोई शिकायत न करने की शर्त पर शीला मेरावी ने 10 लाख रुपये रिश्वत की मांग की। इसके बाद बुधानी ने इस मामले की शिकायत लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक राजेश सहाय से की।

शिकायत की पुष्टि के बाद 4 लाख रुपये की रिश्वत पर समझौता तय हुआ। आज, 18 अक्टूबर 2024, को लोकायुक्त ने मेरावी को 1 लाख रुपये की पहली किस्त लेते हुए उनके कार्यालय में ट्रैप कर गिरफ्तार किया। आरोपी के खिलाफ धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई जारी है।

अवैध वसूली का बड़ा नेटवर्क उजागर

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि शीला मेरावी ने केजीबीवी बालिका विद्यालय और नेताजी सुभाष चंद्र बोस बालिका छात्रावास की वार्डनों से हर महीने 10,000 रुपये वसूलने का रैकेट चला रखा था।

वार्डनों का आरोप है कि मेरावी ने उनसे कहा, “पहले की डीपीसी 5,000 रुपये महीना लेती थी। मैं देवास में APC जेंडर रह चुकी हूं और जानती हूं कि हर वार्डन एक हॉस्टल से 50,000 रुपये तक कमाती है। तुम लोग बच्चों को कुछ नहीं देतीं, सिर्फ बिल और वाउचर बनाती हो, इसलिए यह रकम देनी ही होगी।”

मेरावी ने यह भी कहा था कि, “तुम्हारी शिकायतें राज्य शिक्षा केंद्र में दर्ज होती हैं और जांच के लिए हमें भेजा जाता है। हम ही जांच में तुम्हें दोषमुक्त कराते हैं और राज्य स्तर की कार्रवाई से बचाते हैं।”

निष्कर्ष

लोकायुक्त की इस कार्रवाई ने शिक्षा विभाग में रिश्वतखोरी और अनियमितताओं का बड़ा खुलासा किया है। मामले की जांच अभी जारी है, और अन्य अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

Exit mobile version