बिग ब्रेकिंग: भिंड में रेत के ठेके में घोटाले का मामला, जिला प्रशासन और रेत कंपनी के गठजोड़ पर उठे सवाल
भिंड: भिंड जिले में पिछले दो वर्षों से रेत के ठेके में घोटाले की अटकलें तेज हो गई हैं। जिला प्रशासन और दतिया रेत कंपनी के गठजोड़ के आरोपों के बीच यह मामला अब प्रमुख विवाद बन चुका है। सूत्रों के अनुसार, दतिया रेत कंपनी ने प्रशासन के साथ मिलकर इस ठेके की प्रक्रिया में गड़बड़ी की है, जिससे राज्य को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है।
दतिया रेत कंपनी के प्रभावी संपर्क
दतिया रेत कंपनी का प्रभाव इतना बढ़ चुका है कि उसके वाहन में घूमने वाले प्रशासनिक अधिकारी भी अब सवालों के घेरे में हैं। इस संबंध में यह भी पूछा जा रहा है कि आखिर उन अधिकारियों की जांच कौन करेगा, जो रेत की तस्करी और ठेका प्रक्रिया में संलिप्त हो सकते हैं।
रेत खदानों में कम रेत होने का मूल्यांकन और ठेकेदार को लाभ
कलेक्टर ने भिंड जिले में खदानों की रेत की मात्रा का मूल्यांकन कराया, लेकिन यह माना जा रहा है कि वर्षा काल में खदानों में भारी मात्रा में रेत आई थी, जिसे प्रशासन ने नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद खदानों में कम रेत होने का मूल्यांकन करके ठेकेदार को फायदा पहुंचाया गया, जो अब एक बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है।
मुख्यमंत्री से लोकायुक्त जांच की अपील
प्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले की लोकायुक्त से जांच कराने की मांग की जा रही है। सवाल यह है कि प्रशासन और ठेकेदार के इस गठजोड़ के पीछे किसका हाथ है और इसे रोकने में प्रशासन ने क्यों चुप्पी साधी रखी।
राजस्व हानि का जिम्मेदार कौन?
वर्षों से हो रही यह गड़बड़ी अब प्रदेश सरकार के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। सवाल उठ रहा है कि दो वर्षों में हुए करोड़ों के राजस्व नुकसान का जिम्मेदार कौन है?
प्रशासनिक गड़बड़ियों की जांच जरूरी
भिंड में तैनात अधिकारियों और दतिया रेत कंपनी के कर्ताधर्ता के बीच हुए लाखों रुपये के लेनदेन और डंप रेत जप्ती के नाम पर दी गई रॉयल्टी के बारे में भी अब जांच की आवश्यकता महसूस हो रही है। अधिकारियों की कॉल डिटेल की जांच से इस मामले का बड़ा खुलासा हो सकता है।
प्रभारी मंत्री की भूमिका पर सवाल
अंत में, यह भी सवाल उठ रहा है कि प्रदेश के प्रभारी मंत्री, पहलाद पटेल आखिर क्यों इस मामले में गुमराह कर रहे हैं और अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।
निष्कर्ष:
भिंड जिले में रेत के ठेके से जुड़े इस बड़े घोटाले की जांच अब जरूरी हो गई है। जिला प्रशासन और दतिया रेत कंपनी के गठजोड़ पर उठते सवाल और करोड़ों के राजस्व नुकसान ने सरकार के लिए एक नई चुनौती पेश की है।