भोपाल । प्रदेश सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष में उन विभागीय योजनाओं को बंद करने का निर्णय लिया है, जो अब अपनी उपयोगिता खो चुकी हैं। इसके साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार की समान योजनाओं को मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि दोहराव को रोका जा सके और बजट का सही इस्तेमाल हो सके।
सरकार की ओर से जारी निर्देशों के मुताबिक, यदि कोई भी विभाग नई योजना शुरू करना चाहता है, तो उसे पहले उस योजना का पूरा डेटा और बजटीय आवश्यकताएं वित्त विभाग के समक्ष प्रस्तुत करनी होंगी। इसके बाद ही योजना को लागू करने पर विचार किया जाएगा।
### **राज्य की योजनाओं का केंद्र में विलय**
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर राज्य सरकार की योजनाएं केंद्र सरकार की योजनाओं के समान हैं, तो राज्य की योजना को केंद्र की योजना में मर्ज करने की कार्यवाही की जाएगी। यह कदम सरकार द्वारा प्रशासनिक खर्चों को कम करने और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उठाया गया है।
### **वित्तीय अनुशासन पर जोर**
नई योजना लाने के लिए अब विभागों को अपनी तैयारी पहले से ही पूरी करनी होगी। योजना के लाभ, संभावित बजट और क्रियान्वयन की प्रक्रिया का पूरा ब्यौरा वित्त विभाग को देना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही नई योजनाओं को मंजूरी मिल सकेगी।
### **फैसले का असर**
इस निर्णय से प्रदेश की कई योजनाओं पर असर पड़ सकता है, खासकर उन योजनाओं पर, जो या तो लाभकारी नहीं रही हैं या फिर जिनका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाया है। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार की समान योजनाओं के मर्ज होने से प्रशासनिक सरलता और खर्चों में कमी की उम्मीद है।
इस फैसले के बाद प्रदेश सरकार की योजनाओं में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-कौन सी योजनाएं बंद होती हैं और किन्हें केंद्र में मर्ज किया जाता है।