भोपाल: मध्य प्रदेश के सभी परिवहन कार्यालयों (आरटीओ ऑफिसों) में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कोई भी कानूनी प्रावधान नहीं होने के बावजूद, एजेंट, दलाल और मध्यस्थ स्थायी रूप से अपनी दुकानों का संचालन कर रहे हैं और परिवहन विभाग के कार्यों में हस्तक्षेप कर रहे हैं। यह सब संबंधित परिवहन अधिकारियों (आरटीओ) के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकता।
यह स्थिति परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की गंभीर समस्या को उजागर करती है। एजेंटों और दलालों की दुकानों का परिवहन कार्यालयों के बाहर स्थायी रूप से मौजूद होना, भ्रष्टाचार की पहली और अंतिम सीढ़ी बन चुका है। यह केवल एक जांच का विषय नहीं है, बल्कि एक गंभीर विभागीय अनियमितता है, जिसका प्रभाव अवैध पदस्थापन और आर्थिक घोटाले तक देखा जा सकता है।
परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें
अभी जो एजेंसियां परिवहन विभाग में हुए आर्थिक घोटाले और अवैध पदस्थापन की जांच कर रही हैं, उनकी जांच में यह एक महत्वपूर्ण बिंदु होना चाहिए। अगर इन दलालों और एजेंटों के कामकाजी तरीकों की जांच की जाती है, तो इससे विभागीय भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की और भी जानकारी सामने आ सकती है।
श्याम सुंदर शर्मा ने इस पर अपनी चिंता जताते हुए कहा कि परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ों को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
यह जांच का एक अहम हिस्सा होना चाहिए, जिससे परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली और नियमों में सुधार हो सके।