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CBSE की नई शिक्षा नीति: 9वीं-10वीं में एक और 11वीं-12वीं में दो विदेशी भाषाएं अनिवार्य

नई दिल्ली। CBSE से संबद्ध स्कूलों के छात्रों को अब 9वीं और 10वीं कक्षा में एक विदेशी भाषा और 11वीं और 12वीं कक्षा में दो विदेशी भाषाएं अनिवार्य रूप से पढ़नी होंगी। यह बदलाव नई शिक्षा नीति के तहत जल्द ही लागू होने वाले हैं। इसके साथ ही, 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों को दो भारतीय भाषाएं भी पढ़नी होंगी, जिससे उन्हें कुल दस विषयों की पढ़ाई करनी पड़ेगी। फिलहाल, पांच मुख्य विषय और एक वोकेशनल विषय अनिवार्य हैं।

नई शिक्षा नीति के मुख्य बिंदु:

  • विदेशी भाषाएं: 9वीं और 10वीं में एक विदेशी भाषा, 11वीं और 12वीं में दो विदेशी भाषाएं अनिवार्य होंगी।
  • भारतीय भाषाएं: 9वीं और 10वीं के छात्रों को दो भारतीय भाषाएं पढ़नी होंगी।
  • कुल विषय: छात्रों को कुल दस विषय पढ़ने होंगे, जिनमें तीन भाषाएं शामिल हैं।

शिक्षा का नया ढांचा

नई शिक्षा नीति के तहत हर विषय के लिए अलग से रूटीन बनाया जाएगा। CBSE बोर्ड ने सभी स्कूलों को नेशनल फ्रेमवर्क के अनुसार निर्देश जारी करने की तैयारी कर ली है। इसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:

  • भाषा और पर्यावरण शिक्षा: 120 घंटे की पढ़ाई।
  • साइंस और सोशल साइंस: 150 घंटे की पढ़ाई।
  • प्रोजेक्ट वर्क: हर विषय में कम से कम 50 घंटे का प्रोजेक्ट वर्क अनिवार्य किया गया है।

सत्र 2024-25 में प्रमुख बदलाव

CBSE बोर्ड ने कहा है कि चालू सत्र में योग्यता आधारित प्रश्नों की संख्या बढ़ाई जाएगी, जो वास्तविक जीवन की अवधारणाओं से संबंधित होंगे। इस कदम से छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और कौशल हासिल करने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

CBSE की नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। विदेशी भाषाओं की अनिवार्यता से छात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर संचार और समझ विकसित कर सकेंगे। इसके साथ ही, प्रोजेक्ट वर्क और व्यावहारिक ज्ञान पर जोर देकर शिक्षा को और अधिक प्रभावी और समग्र बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

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